स्पोर्ट्स डेस्क, न्यूज-11 भारत
रांचीः गरीबी व लचारी को ठोकर मारकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी संगीता कुमारी ने अपनी पहली पगार से सिमडेगा के करनागुड़ी नवाटोली गांव के गरीब बच्चों के बीच गेंद व हॉकी स्टीक बांटी. साथ ही बच्चों को मिठाइयां भी खिलाई. जूनियर महिला हॉकी टीम का सफर करते हुए संगीता ने दक्षिण पूर्व रेलवे ज्वाइन किया. अगस्त महीने में ही संगीता ने रांची रेल में नौकरी पाई. रेलवे में ज्वाइन करने के बाद संगीता पहली बार अपने गांव पहुंची. लेकिन वो अपनी गांव की गरीबी को नहीं भूली. बच्चों के बीच रहकर समय बिताई. गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को धोती देकर सम्मानित किया.
पिता किसान का काम कर बेटी को आगे बढ़ाया
कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता में जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व कर रही संगीता को गरीबी ने हिम्मत हारने नहीं दिया. बांस को स्टीक की शक्ल देकर व बांस के जड़ को गेंद गेंद खेल को आगे बढ़ाया. पिता किसान का काम कर बेटी को सहारा दिया. गरीबी रेखा से जीवन यापन करने वाले किसान रंजीत मांझी व लखमणि देवी की चौथी पुत्री है संगीता. छह भाई-बहनों में संगीता चौथे नंबर में आती है.
नवाटोली की पहली सदस्य जिसे सरकारी नौकरी मिली
संगीता के तीन बड़ी बहन गरीबी के कारण बारी बारी से सिमडेगा में पढ़ाई करती हैं. एक बहन घर में काम करती है तो दूसरी बहन सिमडेगा में पढ़ाई करती. फिर दूसरे वर्ष जो घर में काम करती वो सिमडेगा में पढ़ाई करती है. लेकिन संगीता को नौकरी मिल जाने के बाद अब छोटी-बड़ी सभी बहनों को पढ़ाई में आसानी हो जाएगी। संगीता करगागुड़ी नवाटोली की पहली सदस्य है जिसे किसी सरकारी नौकरी मिली है.
भरतीय महिला हॉकी कैंप में हैं शामिल
बंगलुरु में चल रहे जूनियर भारतीय महिला हॉकी टीम की कैंप में शामिल है. दिवाली की छुट्टी में ही वह अपने गांव पहुंची हैं। संगीता ने कहा की मैं जब भी घर आती थी तो मेरे गांव के छोटे बच्चों को देखती थी की बांस के जड़ को गेंद बनाकर हॉकी खेलते थे. मैं भी बच्चे में इसी तरह खेलती थी. मुझे हॉकी से नौकरी मिली है. इसलिए मैं बच्चों खेलने का समान दिया.