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2011, 2013-14 में लाभुकों की संख्या से अधिक को इंदिरा आवास किया गया आवंटित

फरजी कैशबुक और फरजी फाइल से की गयी गड़बड़ी
2011, 2013-14 में लाभुकों की संख्या से अधिक को इंदिरा आवास किया गया आवंटित
न्यूज11 भारत

रांचीः गढ़वा में पदस्थापित रहे बीडीओ सुबोध कुमार पर कार्मिक विभाग की तरफ से वेतनवृद्धि पर रोक लगायी गयी है. इनके खिलाफ इंदिरा आवास योजना में गड़बड़ी करने और तय लाभुकों की संख्या से अधिक लाभुकों के चयन कर भुगतान करने का गंभीर आरोप लगा है. इन्होंने अपने कार्यकाल में 2010-11 में 81 लाभुकों की जगह 204 लाभुकों का चयन कर लिया. इतना ही नहीं वर्ष 2013-14 में इंदिरा आवास के 197 लाभुकों की जगह 296 लाभुकों का चयन कर सरकारी आदेश की अवहेलना की गयी. इतना ही नहीं 2013-14 में लक्ष्य के विपरीत 99 अधिक लाभुकों का चयन छिपाने की भी कोशिश की गयी. इससे संबंधित रिकार्ड औऱ् संचिका भी गायब करने का आरोप लगा था. इनके बारे में कहा गया कि लाभकों के चयन से संबंधित साक्ष्य छिपाने तथा मूल योजना को गायब कर फरजी रजिस्टर तैयार कर रिकार्ड में हेरफेर  गया है. यह गंभीर अनियमितता का परिचायक है. इंदिरा आवास योजना के लिए 45 हजार रुपये दिये गये. योजना के रजिस्टर और कैश बुक में 28 लाभुकों को तय राशि से अधिक का भुगतान किया गया. 

 

2011-12 की गड़बड़ी की जांच 2017 में शुरू हुई

गढ़वा के रमकंडा में इंदिरा आवास योजना की गड़बड़ी की जांच मई 2017 में शुरू हुई. इस पर संबंधित आरोपी बीडीओ ने अपना स्पष्टीकरण भी दिया. मामले को संज्ञान में लेते हुए जिले के उपायुक्त से भी रिपोर्ट मांगी गयी. गढ़वा के तत्कालीन डीसी ने अपने जवाब में कहा कि 17 जुलाई 2020 को रमकंडा बीडीओ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई पूरी की गयी. जिसमें डीसी ने कहा कि आरोपी बीडीओ का बयान गलत है. डीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बीडीओ ने कहा है कि भारत सरकार के द्वारा समय पर रिपोर्ट नहीं जाने के कारण इंदिरा आवास योजना के लाभुकों को पूरी राशि नहीं दी गयी. केंद्र से भी पैसा नहीं मिला. डीसी ने यह भी कहा कि रकमंडा मामले में पप्रखंड स्तरीय प्रधान सहायक लव कुमार, तत्कालीन सहायक रामनाथ भगत, तत्कालीन सहायक मो नुमान अंसारी पर कार्रवाई की जा रही है.

 


 

बीडीओ की सफाई

बीडीओ सुरेश प्रसाद ने कहा कि मेरे अधीन काम करनेवाले सहायक नुमान ने ही गड़बड़ी की. सहायक ने जो फाइल तैयार की, उसे प्रधान सहायक ने जांच करने के बाद मुझ तक फाइल बढ़ायी थी, जिसकी मैंने स्वीकृति दी थी. योजना की पंजी और कैशबैक की जांच प्रधान सहायक ने की थी. मुझे निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी के कर्तव्यों की जानकारी भी नहीं है.
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