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रांची: रिम्स में डेंटल कॉलेज में सामग्री खरीद घोटाले मामले में पूर्व निदेशक में डॉ. बीएल शेरवाल और डॉ. सत्येंद्र कुमार चौधरी के साथ मैक्सिलोफेसियल सर्जरी डेंटल कॉलेज के प्रध्यापक सह विभाग अध्यक्ष डॉ. वीके प्रजापति को शोकॉज किया गया है. रिम्स के अपर निदेशक (प्रशासन) चंदन ने 15 जुलाई को नोटिस करते हुए सात दिनों के अंदर जवाब मांगा था. कहा था कि तय समय पर स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया तो माना जाएगा कि इस संबंध में आपको कुछ नहीं कहना है जिसके बाद खिलाफ अनुशासनिक / कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी. हालांकि, एक सप्ताह गुजर जाने के बावजूद किसी ने भी जवाब नहीं दिया. ऐसे में अब अपर निदेशक ने सार्वजनिक सूचना जारी कर कहा है कि अगर सूचना प्रकाशित होने की तिथि से 07 दिनों के अंदर जिनका स्पष्टीकारण प्राप्त नही होता है तो उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर उनके विरूद्ध कानूनी/अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.
जानें क्यों किया गया है नोटिस
प्रधान महालेखाकार झारखंड के पत्रांक ऑडिट/20-21/90 दिनांक 28.09.2020 से प्राप्त अंकेक्षण प्रतिवेदन के आलोक में रिम्स के डेंटल महाविद्यालय में मशीन, उपकरण और अन्य सामग्री के क्रय में बरती गई अनियमितता के आरोप में तीनों पदाधिकारियों से स्पष्टीकरण की मांग की गई है. स्पष्टीकरण को लेकर उन्हें स्मारित भी किया गया था. उक्त पदाधिकारियों के द्वारा मांगी गई कागजात को उपलब्ध कराया गया. मगर इसके बाद भी अभी तक टाल-मटोल की नीति अपनाते हुए उन्होंने स्पष्टीकारण समर्पित नही किया. जिसको लेकर अब आम सूचना जारी कर स्पष्टीकरण की मांग की गई है.
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एक पूर्व पदाधिकारी के दिए गए स्पष्टीकरण की होगी जांच
रिम्स के डेंटल कॉलेज की सामग्री खरीद में करीब 30 करोड़ के घोटाले महालेखाकार के ऑडिट में पकड़ने आया था. जिसको लेकर 2 पूर्व निदेशक सहित कुल 4 लोगों को स्पष्टीकरण दिया गया था. 4 लोगों में डेंटल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर पंकज गोयल भी शामिल थे. उन्होंने पूर्व में पूछे गए स्पष्टीकरण में कहा है कि उनकी नियुक्ति 9.11.2016 को हुई थी और इससे पहले ही सामग्री की खरीद कर ली गई थी. डॉ पंकज के द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण की जांच की जाएगी. इस मामले में रिम्स की ओर से गठित कमेटी ने निर्णय लिया है कि इन चार पदाधिकारियों के अलावा अन्य किसी की भी सहभागिता डेंटल कॉलेज के लिए सामग्री खरीद में होती है तो उसे चिन्हित करके समिति की अगली बैठक में रखा जाएगा.
क्या है पूरा मामला
रिम्स के डेंटल कॉलेज के लिए खरीदे गए उपकरणों के मामले में महालेखाकार (एजी) ने माना था कि खरीद में जमकर घोटाला हुआ है. विभिन्न प्रकार की गड़बड़ियों में कुल 28 से 30 करोड़ रुपए गड़बड़ी की बात कही जा रही है. कॉलेज के लिए खरीदी गई डेंटल चेयर को भी एनआईटी के मानक के अनुरुप नहीं पाया गया था. इसके अलावा भी कई गड़बड़ियों का मामला महालेखाकार के ऑडिट में सामने आया था.