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रांची: सूबे की राजनीति के लिए 17 मई का काफी अहम माना जा रहा है. एक तरफ वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन और एक पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक भविष्य को तय करेगा. 17 मई को जहां सीएम मुख्यमंत्री के शेल कंपनी और माइनिंग लीज से जुड़े मामे पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. सुनवाई में क्या निकलता है, इस पर बहुत हद तक सीएम के राजनीतिक भविष्य टिकी होगी. वहीं पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी सदस्यता को लेकर अहम सुनवाई स्पीकर न्यायाधीकरण में सुनवाई होगी. बतातें चलें कि स्पीकर ने आपत्तियों को खारिज कर दिया है अब केवल केस के मेरिट पर सुनवाई होगी. बतौर झाविमो सुप्रीमो रहते हुए उन्होंने पूरी पार्टी का भाजपा में विलय का दावा किया. इस मर्जर को इलेक्शन कमीशन ने मंजूरी प्रदान कर दिया है. इसके बाद से ही भाजपा की ओर से सरकार के इशारे पर बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी की मांग करते आ रही है. मगर इस विलय को स्पीकर कोर्ट के पास चुनौती दी गयी. जिसको लेकर स्पीकर न्यायाधीकरण में मामला चल रहा है. स्पीकर न्यायीकरण का निर्णय यह तय करेगा कि बाबूलाल की सदस्यता रहेगी या जाएगी? अगर निर्णय बाबूलाल के पक्ष में आता है तो उन्हें न केवल बड़ी राहत मिलेगी बल्कि नेता प्रतिपक्ष का कुर्सी मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा और उनके खिलाफ में जाता है तो मरांडी को फिर चुनाव मैदान में जाना पड़ सकता है.
सीएम मामले में अब तक कोर्ट में अब तक यह हुआ है
सीएम खदान लीज मामले में शिवशंकर शर्मा ने माइंस लीज आवंटन को लेकर जनहित याचिका दायर की थी. 8 अप्रैल को एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने इस मामले में अपना पक्ष रखा था. कहा कि खनन के लिए मंजूरी देने में एक गलती की है. उन्होंने बता चुके हैं कि भले ही हेमंत सोरेन मंत्री रहते हुए कारोबार में शामिल रहें हों, लेकिन कोई भी वैधानिक या संवैधानिक उल्लंघन जैसी कोई बात नहीं है. हेमंत सोरेन ने लीज सरेंडर कर खुद को अलग कर लिया था.