अब ईडी के रैडार में हैं साहेबगंज के DMO और कई राजनेता
दीपक/न्यूज11 भारत
रांची: साहेबगंज में अवैध पत्थर खदानों से उत्खनन और उसके ट्रांसपोर्टेशन का खेल काफी पुराना है. इस रैकेट में स्थानीय प्रशासन से लेकर कई राजनेता और पुलिस तक की संलिप्तता है. साहेबगंज जिले में सरकार के हिसाब से 402 पत्थर के खदान और 508 से अधिक स्टोन क्रशर इकाईयां हैं. इसलिए यहां पर पत्थर का अवैध खनन अनवरत जारी है. नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) ने साहेबगंज जिले में चल रहे अवैध स्टोन क्रशर के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश11 सितंबर 2019 में ही दिया था. पर अवैध खनन अब तक नहीं रूकी. आपको बताते चलें कि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की तरफ से 6 करोड़ से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया था. पर कुछ हुआ नहीं. अब की स्थिति बिल्कुल उलट है. प्रवर्तन निदेशालय ईडी की तरफ से साहेबगंज के जिला खनन पदाधिकारी विभूती प्रसाद को पूछताछ के लिए रांची बुलाया जा रहा है. पर वे अपनी बेटी के विवाह को लेकर 20 मई तक पूछताछ की कार्रवाही से बचे हुए हैं. ईडी के रैडार पर सिर्फ डीएमओ ही नहीं, कई राजनेता भी शामिल हैं. इनका इंट्रोगेशन अब जल्द शुरू किया जायेगा. वह भी आइएएस पूजा सिंघल के साथ.
एनजीटी ने पकड़ा था अवैध खनन का मामला और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की बातें
एनजीटी ने साहेबगंज जिले में अवैध खनन से हो रहे पर्यावरण के नुकसान का मामले को पकड़ा था. इसके बाद हरकत में आयी झारखंड राज्य प्रदषण बोर्ड ने चार सदस्यीय समिति गठित कर स्टोन माइंस परिसरों की जांच की. इसमें वैज्ञानिक राजीव रंजन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ रीता साहा,प्रदूषण बोर्ड के रवींद्र प्रसाद और राज्य स्तरीय पर्यावरण समिति के डॉ बीके तिवारी शामिल थे. इस समिति ने अक्तूबर 2019 माह में कई पत्थर खदानों का दौरा किया. निरीक्षण के क्रम में 21 खदानों का दौरा किया गया, जिसमें से 11 खदानों में पर्यावरण प्रदूषण के उपायों का सीधा उल्लंघन किया जा रहा था. नवंबर के पहले सप्ताह में प्रदूषण बोर्ड ने सभी इकाईयों पर जुर्माना लगाया.
राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के आंकड़ों पर अब गौर करने की आवश्यकता है. इसमें पर्षद की ओर से कहा गया है कि साहेबगंज में 402 खदान हैं. इसमें से 212 कार्यरत हैं, जबकि 282 कार्यशील (नन ऑपरेशनल) नहीं हैं. झारखंड सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग की तरफ से 272 खदानों का स्टॉक लाइसेंस सिर्फ साहेबगंज जिले से जारी किया गया है. इनमें से 111 स्टोन माइंस यूनिट की तरफ से कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) जारी करने का आग्रह प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से किया गया था, जिसमें से 101 इकाईयों को सीटीओ नहीं दिया गया.
जिले में 508 स्टोन क्रशर हैं. इन इकाईयों की तरफ से भी सीटीओ का आवेदन दिया गया था, जिसमें 445 को प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने सीटीओ दिया. इन सभी क्रशरों की क्षमता 500 टन प्रति दिन से अधिक पायी गयी थी. इन इकाईयों की तरफ से पीएम10 एनालाइजर नहीं लगाया गया था, ताकि राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति का जायजा लिया जा सके. इन क्रशरों में से सिर्फ 50 ऐसे क्रशर थे जो फारेस्ट क्लीयरेंस, इनवायरनमेंटल क्लीयरेंस के मानकों का पालन करते थे.
196 इकाईयों पर 6.33 करोड़ का लगा था जुर्माना
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की तरफ से नियमों का उल्लंघन करने के मामले में 196 इकाईयों पर 6.33 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया गया था. इसमें से 55 स्टोन माइंस पर 2.36 करोड़ से अधिक औऱ् 141 स्टोन क्रशरों पर 3.98 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था. जिला प्रशासन की तरफ से 34 अवैध क्रशरों के खिलाफ एफआइआर किया गया था. 107 इकाईयां सील की गयी थीं.