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धर्म कोड नहीं मिला तो आदिवासी बहुल राज्यों में होगा आर्थिक नाकेबंदी

झारखंड सहित पूरे देश के आदिवासी प्रतिनिधियों ने दिल्ली जंतर-मंतर में दिया धरना
धर्म कोड नहीं मिला तो आदिवासी बहुल राज्यों में होगा आर्थिक नाकेबंदी
न्यूज11 भारत 




रांची: राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान और दिल्ली सरना समाज के संयुक्त तत्वाधान में संसद दिल्ली के समक्ष जंतर मंतर में समस्त देश के सरना धर्मावलंबी विभिन्न राज्यों से आए हुए  लगभग एक हजार की भारी संख्या में सत्याग्रह धरना में शामिल हुए. कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री,गृहमंत्री जनजातीय मामले की मंत्री, रजिस्टार जनरल ऑफ इंडिया,जनगणना को सरना धर्म कोड की स्वीकृति हेतु तथा जनगणना परिपत्र में पृथक कोड के रूप में अधिसूचित करने हेतु ज्ञापन दिया. भारत सरकार से आग्रह है की हमे समय रहते भारत के आदिवासी सरना धर्म कोड प्रदान करें,अगर समय रहते नही हुआ तो आदिवासी बहुल क्षेत्र के राज्यों में आर्थिक नाकेबंदी होगा.

 


 

आदिवासी बहुल राज्य में होगी धर्म कोड महारैली, फरवरी-मार्च में रामलीला मैदान में होगी महौरली

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद डॉ करमा उरांव देश में सरना धर्म कोड की मांग  उठी है.  संसद के समक्ष आज दे रहे,आशा है संसद और भारत सरकार भारत के आदिवासियों की मांग स्वीकार करेगी. आजाद भारत में देश का मूल धर्म प्रकृति से जुड़ा मानव संस्कृति का आध्यात्मिक आयाम भारत के करोड़ो आदिवासियों अलग धर्म कोड नहीं दिया जाना एक तरह  से अन्याय है और क्रूर मजाक किया गया है,समस्त देश के आदिवासी उक्त मांग के समर्थन करने के आंदोलन करने में बाध्य है. यह भी निर्णय लिया गया है की आगे के दिनों में असम,झारखंड,ओडिशा,पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़,और अन्य राज्यों में महारैली और सभा का आयोजन करेंगे और समस्त देश में धार्मिक क्रांति करेंगे और अपने हक अधिकार के लिए लड़ेंगे. यह भी निर्णय लिया गया की आगामी वर्ष 2022 में फरवरी-मार्च में समस्त भारत के विभिन्न राज्यों से लाखों लोग दिल्ली कुच करेंगे और रामलीला मैदान में महारैली करेंगे.यह भी निर्णय लिया गया जिन जिन राज्यों में आदिवासी आबादी है वहां की सरकार और राजनीतिक पार्टियां सरना धर्म कोड का समर्थन करे अन्यथा कोड नहीं तो वोट नहीं का कार्यक्रम होगा.

 


 

कार्यक्रम में रवि तिग्गा, नारायण उरांव, मणि केरकेट्टा( ओडिशा) , ऑगस्टीन लकड़ा (असम) ,शिव प्रसाद भगत (छत्तीसगढ़), तेतरा उरांव ( बंगाल), झारखंड से विद्यासागर केरकेट्टा,रंथु उरांव ,दुर्गावती ओडेया, बलकू उरांव,चिंतामणि उरांव,निर्मला भगत,शिवा कच्छप,नारायण उरांव, कमले उरांव,प्रभात तिर्की,रमेश मुंडा,अनूप टोप्पो,संगम उरांव,सन्नी उरांव, रेणु तिर्की,अनिल उरांव, अनिल कुमार भगत, प्रदीप कुमार भगत, आयशा गौतम,गोमती बोदरा,गणेश मांझी, नितीशा खलखो, शिवचंदर देव भगत,आदि ने सरना धर्म कोड के समर्थन में विचार व्यक्त किए.
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