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रांची: रांची में शुभ मूहुर्त में हुआ होलिका दहन. भारतीय सनातन पद्धती और हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का ये पर्व मनाया जाता है. इससे जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार नारायण भक्त प्रह्लाद को उसके पिता नापसंद करते थे जिसका कारण उनका नारायण भक्त होना था. बड़े उपायों के बाद भी जब भक्त प्रह्लाद के प्राण कोई नहीं हर सका तब राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से सहायता मांगी.
होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग नहीं जला सकती और इस वरदान का होलिका ने नारायण भक्त प्रह्लाद के प्राण लेने के लिये उपयोग किया जिसके कारण उसका वरदान निष्फल हो गया और अग्नी से प्रह्लाद की रक्षा स्वयं नारायण ने की और उस आग में होलिका जलकर भस्म हो गयी. इस कथा से समाज को ये प्रेरणा मिलती है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली हो अच्छाई से बहुत छोटी होती है. और इसी प्रसंग को स्मरण कर सनातन काल से होलिका दहन की परंपरा चली आ रही है.
आज राजधानी के लगभग हर चौक चौराहे पर सुबह के 4 बजे होलिका दहन किया गया. लोगों ने अपने तरह तरह की परंपराओ का पालन करते हुए किसी ने कच्चे चने की बालिया इस आग में भून कर खाई तो किसी ने पुए कचरी का भोग लगाया. इस प्रकार शांति व भाईचारे के सााथ होलिका दहन सम्पन्न हुआ. जैसा कि हम सब जाने हैं होलिका दहन के अगले दिन रंगों वाली होली होती है. इस साल पूर्णिमा दो दिन पड़ने के कारण कई जगहों पर होलिका दहन मंगलवार सुबह कर ली गई है. वहीं, कई जगहों पर आज यानी की मंगलवार शाम को की जाएगी.
यदी बात करें होलिका दहन की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधिकी तो पंचांग के अनुसार, इस साल पूर्णिमा तिथि दो दिन होने के कारण होलिका दहन की तिथि को लेकर काफी समस्या उत्पन्न हो रही है. कई जगहों पर 6 को तो कई जगहों पर 7 मार्च को होलिका दहन किया जा रहा है. बता दें होलिका दहन का मुहूर्त तीन चीजों पर निर्भर करता है. पूर्णिमा तिथि, प्रदोष काल और भद्रा न हो. ऐसा बहुत ही कम होता है कि होलिका दहन इन तीनों चीजों के साथ होने पर हो.
लेकिन पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का होना बेहद जरूरी है. पूर्णिमा के रहते हुए पुच्छ काल में यानी भद्रा के आखिरी समय में होलिका दहन करना शुभ माना जाता है. वहीं होलिका दहन के अगले दिन होलिका दहन की राख माथे में लगाने के साथ पूरे शरीर में लगाएं. ऐसा करने से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से छुटकारा मिलेगा.
बात करें शुभ मूहुर्त की तो भद्रा- 6 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 7 मार्च को भद्रा सुबह 5 बजकर 15 मिनट तक
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त- 07 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन का पौराणिक और धार्मिक महत्व दोनों ही है. क्योंकि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाती है.
इसके साथ ही इस दिन होलिका दहन की विधिवत पूजा करते हैं और अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. इतना ही नहीं इसके साथ ही बसंत ऋतु का स्वागत करते हुए अग्नि देवता को धन्यवाद देते हैं. बताते चलें कि फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि आरंभ- 06 मार्च, सोमवार को शाम 04 बजकर 17 मिनट से आरंभ होकर फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि का समापन- 7 मार्च, मंगलवार को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर समाप्त हां जाएगी.