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रांचीः हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने बड़ा घाघरा में निर्मित तीन मकानों को 72 घंटे में तोड़ने के रांची नगर निगम के आदेश पर रोक लगा दी. साथ ही निगम को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 फरवरी को होगी. अदालत में विशेष मेंशन कर केस सूचीबद्ध कराया गया था. रविवार को अदालत बैठी और प्रार्थी सोनू पास्कल एक्का व सुरेश तिर्की की ओर से दायर याचिकाओं पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई कर उक्त निर्देश जारी किया गया.
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता कौशलेंद्र प्रसाद ने पक्ष रखते हुए बताया कि यह रैयती जमीन है. वर्षों से लोग रहते आ रहे हैं. संविधान के प्रावधान आर्टिकल 243 जेड- C पार्ट नाइन-A के अनुसार, शिड्यूल एरिया में निगम और नगरपालिकाओं का कोई अस्तित्व नहीं है. इसके बावजूद निगम ने हमारे निर्माण को 72 घंटे में तोड़ने की नोटिस जारी कर दी. संविधान के अनुसार, जब निगम का कोई अस्तित्व नहीं है, तो वह आदेश कैसे जारी कर सकता है. हमारी जमीन को निगम ने अपोलो अस्पताल को दे दिया. इसलिए निगम का आदेश निरस्त किया जाये.
दरअसल राज्य सरकार ने साल 2014 में चेन्नई अपोलो को एक रुपये टोकन मनी में बड़ा घाघरा में 2.81 एकड़ भूमि दी थी. पीपीपी मोड में अस्पताल का निर्माण होना था. पर अब तक शुरू नहीं हो पाया है. पहुंच पथ के पास अतिक्रमण होने का आरोप लगाकर निगम ने रैयत बिरसा उरांव, सुषमा एक्का, सुरेश तिर्की को नोटिस जारी किया था.