न्यूज़11 भारत
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से जेएसएससी परीक्षा के लिए बनाई गई नई नियुक्ति नियमावली पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. अदालत ने सरकार से पूछा है कि किन परिस्थितयों में ऐसा किया गया है. अदालत ने इससे संबंधित सभी फाइल कोर्ट में पेश करने को कहा है. अदालत ने पूछा है कि जब राज्य के आरक्षित वर्ग के लोगों को राज्य के संस्थान की बजाय बाहर से 10वीं और 12वीं की योग्यता प्राप्त करने पर भी नियुक्ति में शामिल होने की छूट प्रदान की गई है, तो सामान्य वर्ग के लोगों को ऐसा करने पर रोक क्यों लगाई गई है. अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी.
अदालत ने सरकार से पूछा है कि आखिर नई नियुक्ति में भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को क्यों हटा दिया गया है. क्या राज्य में हिंदी बोलने वालों की संख्या नहीं.कोर्ट ने पूछा कि क्या उर्दू, बंगाली और उड़िया भाषाओं के बोलने वाले ज्यादा हैं. इस पर भी सरकार विस्तृत जवाब दे.
इसे भी पढ़े...पेट्रोल हुआ 8 रुपया सस्ता, सरकार ने वैट किया कम
प्रार्थी कुशल कुमार व रमेश हांसदा की ओर से इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इसमें राज्य के संस्थानों से दसवीं और प्लस टू योग्यता वाले अभ्यर्थियों को ही परीक्षा में शामिल होने की अनिवार्यता रखी गई है. इसके अलावा 14 स्थानीय भाषाओं में से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है। जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया सहित 12 अन्य स्थानीय भाषाओं को रखा गया है.
याचिका में कहा गया है कि नई नियमावली में राज्य के संस्थानों से ही 10वीं और प्लस टू की परीक्षा पास करने की अनिवार्य किया जाना संविधान की मूल भावना और समानता के अधिकार का उल्लंघन है. वैसे अभ्यर्थी जो राज्य के निवासी होते हुए भी राज्य के बाहर से पढ़ाई किए हों, उन्हें नियुक्ति परीक्षा से नहीं रोका जा सकता है. नई नियमावली में संशोधन कर क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की श्रेणी से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया गया है, जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया को रखा गया है.