NIA की स्पेशल कोर्ट ने पूर्व में ही जारी किया है वारंट, कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी
न्यूज11 भारत
रांची : टेरर फंडिंग मामले में हाईकोर्ट ने अमित अग्रवाल उर्फ सोनू अग्रवाल, महेश अग्रवाल और बीकेबी ट्रांसपोर्ट के मालिक विनित अग्रवाल के अंतरिम राहत की अवधि समाप्त कर दिया है. साथ पुराने सभी स्टे ऑडर्स को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद तीनों की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है. पूर्व में हाईकोर्ट ने तीनों से संबंधि मामलों में अंतरिम राहत दे रखी थी, जिसे वेकैट कर दिया गया. जिस वजह से एनआईए तीनों की गिरफ्तारी नहीं कर पा रहा था. एनआईए ने तीनों की गिरफ्तारी के लिए कई बार छापेमारी की, मगर यह लोग फरार मिले. जिसके बाद एनआईएन ने तीनों की तस्वीर वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी. तीनों ठिकानों पर एनआईए और आयकर विभाग ने एक साथ 11 जगह पर छापेमारी की थी.
आयकर विभाग की टीम ने कंस्ट्रक्शन कंपनी के संचालक अमित अग्रवाल के रांची और कोलकाता स्थित 10 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी. विभाग की सूचना के आधार पर अमित अग्रवाल ने अपने सहयोगियों की मदद से आयकर की चोरी करने का आरोप है. कोलकाता में अमित अग्रवाल के कार्यालय के अलावा रांची में विनित अग्रवाल के मोरहाबादी स्थित कुसूम विहार के वृंदा गार्डेन और पंडरा में रेड डाली गयी थी. सांसद निशिकांत दुबे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर यह कहा था कि अमित अग्रवाल का कनेक्शन झारखंड के बड़े नेताओं और आतंकियों के साथ है. एक राजनेता के साथ मिल कर रांची में चार सौ एकड़ जमीन खरीदी थी. कोलकाता में राजेश एक्सपोर्ट कंपनी के मालिक अमित अग्रवाल 22 मंजिला मकान भी बना रहे हैं. उनका ओर उनके चचेरे भाई का खाता एनपीए हो गया है. दोनों ने बैंक को काफी चुना लगाया है.
फोटो- विनित अग्रवाल, सोनू अग्रवाल और महेश अग्रवाल
टेरर फंडिंग के आरोपियों की अपील याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने नाराजगी जताते हुए मौखिक रूप से कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि जब इस मामले की कोर्ट में सुनवाई चल रही है, तो आरोपियों को भगोड़ा अपराधी घोषित कर एनआईएन उनकी तस्वीर अपनी वेबसाइट पर लगा दी है। यह सरासर गलत है. गौरतलब है कि एनआईए की वेबसाइट पर विनीत, अमित और महेश अग्रवाल की फोटो अंतर्राष्ट्रीय अपराधी मसूद अजहर के साथ भगोड़ा घोषित किया था.
इस मामले में इनकी ओर से हाईकोर्ट में आइए (अंतरिम याचिका) दाखिल कर एनआईए की कार्रवाई पर आपत्ति जताई गई है. ज्ञात हो कि टंडवा में आम्रपाली व मगध कोल परियोजना में काम करने के बदले में शांति समिति के जरिए लेवी वसूली जाती थी. इसकी राशि उग्रवादी संगठन टीपीसी को भी दी जाती थी. यह संगठन उक्त राशि का इस्तेमाल हथियार खरीदने में करते थे. एनआइए ने इस मामले को टेकओवर करते हुए जांच शुरू की है.