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रांची: गुरुवार को हाईकोर्ट ने गोड्डा के सासंद निशिकांत दुबे के एमबीए के सर्टिफिकेट के फर्जी होने का दावा करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 6 जनवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इस मामले में अब अपर महाधिवक्ता पक्ष रखेंगे, इसलिए समय दिया जाए. इसपर अदालत ने कहा कि इस मामले में हर बार बिना किसी कारण के समय लेना उचित नहीं है. हालांकि अदालत ने निशिकांत दुबे के पूर्व में दी गयी अंतरिम राहत को बरकरार रखी है. अदालत ने निशिकांत दुबे के खिलाफ पीड़क कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है. निशिकांत दुबे की ओर से गुरुवार को बहस पूरी कर ली गई.
क्या है पूरा मामला
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रशांत पल्लव और आरएस मजुमदार ने अदालत को बताया कि उनके पास राजस्थान के प्रताप विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री है. ऐसे में यह कहना गलत है कि निशिकांत दुबे की एमबीए डिग्री फर्जी है. पूर्व में इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग से की गई थी. जांच के बाद आयोग ने उन्हें क्लीन चिट दी है. मामला वर्ष 2014 में निशिकांत दुबे की ओर से चुनाव में दिए गए शपथ पत्र के आधार पर किया गया है, लेकिन 4 साल बाद वर्ष 2019 में इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, जबकि इसके लिए एक साल के अंदर ही कार्यवाही होनी चाहिए.