जस्टिस केपी देव ने कहा 11 मई तक एफीडेविट दर्ज नहीं होने पर मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के सचिव के खिलाफ दिया जायेगा आदेश
अदालत ने कहा 21 मार्च को दिये गये आदेश का अब तक नहीं हुआ अनुपालन, जाहिर की नाराजगी
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने आवास बोर्ड के सचिव जार्ज कुमार और इस्टेट आफिसर की संपत्ति की जांच कराने के मामले पर कार्रवाई नहीं होने पर चिंता जतायी है. डॉ शशि लाल बनाम झारखंड राज्य आवास बोर्ड और राजेंद्र राम की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केपी देव ने 11 मई यानी मंगलवार तक निगरानी विभाग से जवाब देने को कहा. की अदालत में 21 मार्च को हाईकोर्ट ने आवास बोर्ड के सचिव और इस्टेट ऑफिसर के परिजन, दोस्त, आश्रितों की संपत्तियों की जांच एसीबी से कराने का निर्देश दिया था. जारी न्यायादेश में कहा गया था कि 15 नवंबर 2000 के बाद से आवास बोर्ड में जितने भी कार्यपालक अभियंताओं की पोस्टिंग की गयी, उनके द्वारा अर्जित संपत्ति की भी जांच करायी जाये. 21 मार्च 2022 को कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा की गयी थी. अदालत में राज्य सरकार की तरफ से अच्युत केशव ने दलीलें पेश की.
उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं मालूम है कि मामले को लेकर निगरानी विभाग को कोई हिदायतें दी हैं अथवा नहीं. दलीलें सुनने के बाद मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के प्रधान सचिव को 11 मई यानी मंगलवार तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया, जिसमें यह कहा गया है कि 21 मार्च 2022 को कोर्ट द्वारा जारी आदेश का कितना अनुपालन किया गया. प्रति दिन के हिबास से किन-किन पर क्या-क्या कार्रवाई की गयी. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि मंगलवार 11 मई तक हलफनामा दर्ज नहीं हुआ, तो कोर्ट किसी भी तरह का आदेश मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के सचिव के खिलाफ पास करेगा. मामले की अगली सुनवाई 12 मई को होगी.