सामने आयी तालाब की अजब कहानी, चार दिन में सूख गया पानी और तालाब के बीचों-बीच फ्लैट बनाने बिक गयी 80 डिसिमिल जमीन
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:शहर के पगमिल स्थित ढकनी तालाब और उससे सटे कब्रिस्तान के अतिक्रमण को लेकर हुए झारखंड हाईकोर्ट में हुए रिट के आलोक में हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी हजारीबाग रविवार को पहुंची. इस टीम में हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अंजनी कुमार वर्मा, अतानु बनर्जी और सिद्धार्थ रॉय शामिल थे. टीम के सदस्य जिले के अधिकारियों, सदर सीओ, अमीन, नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी, पुलिस अधिकारी के साथ सुबह 10.30 बजे तालाब परिसर पहुंचे और वस्तुस्थिति की समीक्षा की. इस दौरान पूरे तालाब की मापी करायी गयी, जिसमें तालाब का एरिया 1.21 डिसिमिल निकला. वहां बने आवासीय भूखंड के मालिक से बात करके जानकारी ली गयी और उसी में ऐसी बात आयी, जिसने स्थानीय अधिकारियों के साथ साथ हाईकोर्ट के प्रतिनिधियों को भी चौका दिया. क्योंकि वहां मौजूद लोगों में एक ने तालाब पर ही दावा कर दिया. उसके द्वारा बताया गया कि आजादी के पहले से तालाब प्राइवेट संपत्ति रही है. इसी में डीड से तालाब बिक चुका है. इसकी 80 डिसिमिल जमीन आयान के नाम पर भवन चनाने के लिये लिया जा चुका है और तालाब को भरकर उसमें घर बनाना है, जिसपर अधिकारियों के साथ साथ हाईकोर्ट के प्रतिनिधियों ने बताया कि तालाब भले प्राइवेट हो और खरीद लिया गया हो पर उसका नेचर नहीं बदला जा सकता. कागजात देखने पर पता चला कि म्यूटेशन डीड 2019-20 का है और उसमें जानबूझकर तालाब का जिक्र किया ही नहीं गया. ऐसे में तत्कालीन सीओ, कर्मचारी और अन्य सवालों के घेरे में आ गए हैं. ऐसे में तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट हजारीबाग जिले में जमीन को लेकर चल रहे तांडव के इर्द गिर्द ही रहनेवाली है, क्योंकि उनकी पूछताछ में आए कई सारे सवालों के जवाब उन्हें हैरान कर गए. गौरतलब है कि झारखंड उच्च न्यायालय में डब्ल्यू.पी. (पीआईएल) संख्या 2617/ 2021 में याचिकाकर्ता सफीठाशह ने अतिक्रमण को लेकर आवाज उठायी थी, जिसमें में पुलिस अधिकारी की ओर से अपने प्रतिवेदन में उसके दावे का समर्थन किया गया था, वहीं 04 अप्रैल 2024 को डीसी ने अदालत में हाजिर होकर थानाप्रभारी की दिनांक 01 दिसंबर 2021 की रिपोर्ट को गलत रिपोर्ट बताते हुए तालाब को प्राइवेट बताते हुए किसी कब्जे से इंकार कर दिया गया था. ऐसे में परस्पर विरोधी बयान के बाद वस्तुस्थिति और हकीकत की जानकारी के लिये हाईकोर्ट ने यह तीन सदस्यीय टीम भेजी. सबसे बड़ी बात यह है कि जिस तालाब में चार दिन पहले पानी भरा था, वह टीम के लोगों के पहुंचने से पहले कैसे सूख गयी, यह सवाल भी उठ रहे हैं.