यूपी से मवेशियों से लदे वाहनों को स्कॉट करने के लिए भी मिला हुआ था कुछ लोगों को दायित्व, हर थाने के लिए अलग-अलग व्यक्ति, मैनेज करने से लेकर वाहन पास कराने का है जिम्मा
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग जिले के जीटी रोड से होकर बंगाल जाने वाले गौवंशीय तस्करों के खिलाफ प्रातः आवाज की मुहिम के बाद जीटी रोड में मौजूद थाना क्षेत्रों से अभिसरन चलाकर 400 से अधिक मवेशी भले बरामद किए गए हों और कई अवैध कारोबारियों को पकड़कर जेल भेज दिया गया हो, पर सच्चाई यह है कि यह कारोबार बंद नहीं हुआ है और अब भी चल रहा है. फर्क यह है कि कंटेनर और त्रिपाल लदे बड़े वाहनों की संख्या बढ़ गयी है, जो पुराने रूटो निकल रही है. वहीं छोटे वाहन रूट बदलकर चतरा, हजारीबाग भाया रामगढ़ होते हुए बंगाल पहुंच रहे है, जिसमें ऐसी व्यवस्था बना दी गई है कि सड़क पर रहनेवाले गश्ती पुलिस को अब गौवंशीय जानवरों से लदे वाहन दिखने बंद हो गए है. सूचना है कि जीटी रोड के इंट्री प्वाइंट चौपारण थाना से होकर अभी कंटेनर निकल रहे है.
जबकि अन्य वाहन रूट बदल-बदलकर और यह धंधा जिसने संचालित कर रखा है, उनके नाम चौपारण की प्राथमिकी में आ चुका है. लेकिन इन अवैध कारोबारियों का मन बढ़ने की वजह उनके खिलाफ कोई कार्रवाई का नहीं होना बताया जा रहा है. जबकि चौपारण में दर्ज केस 133/2024 के अलावे कई थानों में दर्ज है केस पर कभी नहीं होता है आरोपियों का ट्रेस. अवैध कारोबारियों के कारोबार और सिंडिकेट का उल्लेख चौपारण में दर्ज प्राथमिकी में किया गया है. पहली बार इसमें नौ ऐसे अवैध कारोबारियों के नाम आए हैं, जिन्होंने कारोबार को संचालित कर रखा है. थाने के पुलिस अधिकारी का भी दावा रहा है कि आजतक इनपर शिंकजा किसी ने नहीं कसा. लेकिन सवाल यह है कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया या डलवा दिया गया.
प्राथमिकी में मो. गुलफाम, 50 वर्ष, पिता सादिक अली ग्राम सुल्तानपुर हापुड़, यूपी, शहजां खान, करजू खान दोनों के पिता फारूख खान, गया, बिहार, बाबर खान, पिता जलील खान, ग्राम भदैया बाराचट्टी, गया बिहार, मुन्ना खान, चांद खान, इमरान खान तीनों के पिता रफीक खान, सोहेल खान सभी ताजपुर चौपारण हजारीबाग के नाम का उल्लेख किया है. प्राथमिकी में बताया गया कि सासाराम से शहजहां खान और करजू खान गौवंशीय जानवरों को वाहनों पर लदवाया था. अपने सहयोगियों को उसने बंगाल वधशाला में वाहन को पहुंचाने का जिम्मा सौंपा था, जिसके बाद स्कॉट करते हुए मुत्रा, चांद और इमरान 27 अप्रैल को त्रिपाल लदे वाहन यूपी 15 जीटी 6009 के पीछे पीछे चल रहे थे.
यह जानकारी गिरफ्तार आरोपियों ने दी थी. बताया कि इनका दायित्व न वाहन को चौपारण थाना पास करा देना था. उसके बाद कि बरही में प्रवेश करने पर यह काम मजहर कुरैशी के जिम्मे की था. जबकि उसे यानी गिरफ्तार मो. गुलफाम, सुल्तानपुर, यूपी के जिम्मे गोरहर पास कराने का जिम्मा मिला हुआ था. इसने यह भी बताया कि सभी लोग धंधे में पार्टनर है. एकसाथ मिलकर गरैवंशीय पशुओं को जमा करके उन्हें वाहन में लोडकर स्कॉट करते हुए बंगाल की वधशालाओं में उनकी बिक्री कर देते है. जो मुनाफा हुआ उसे आपस में बांट लिया जाता है.
यह भी बताया कि पुलिस की गतिविधियों की सूचना इमरान अपने तीन मोबाइल की मदद से पहले ही दे दिया करता था. उसी के जिम्मे यह काम सिंडिकेट ने सौंप रखा था. उस दिन भी निरंतर सूचना मिल रही थी, चेकिंग की जानकारी दी जा रही थी और इसी में चेकपोस्ट पर उनका वाहन पकड़ा गया और उसकी गिरफ्तारी हो गई. मतलब साफ है कि मजबूत सिंडिकेट के सहारे यह धंधा चल रहा है, जिसमें जानकारी संग्रह से लेकर मैनेज और पासिंग कराने और धंधा चलाने हर काम के लिए दायित्व अलग-अलग दिया गया है.