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हजारीबाग/डेस्क: आज कल कई सारे वारदात को अंजाम फिल्मों के तर्ज पर दिया जाता है. वहीं, हजारीबाग में इन दिनों फिल्म उड़ता पंजाब की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा. चारों ओर सिर्फ, हर गली, चौक-चौराहों, पान की गुमटियो में सरे आम गांजा, अफीम और चरस की बिक्री हो रही. जिले में इन में कहा-कहा मादक पदार्थ बिकते है. इसकी खबर से छात्र-छात्राओं पूरी तरह से वाकिफ हैं लेकिन पुलिस इस खबर से बेखबर है. यह तथ्य ही अपने आप में चौंकानेवाला है की मादक पदार्थ कहा-कहा मिलते, मगर पुलिस को इस बात की जानकारी नही.
एक सुट्टे की कीमत तीन सौ रुपए
शहर में एक पैकेट अफीम की कीमत 300 रुपये है. कचहरी कैम्पस में भी गांजा और अफीम की बिक्री हो रही है लेकिन पुलिस को इसकी जारा भी भनक नही है. इस परिसर में एक महिला महाविद्यालय भी है. यहीं से हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को ड्रग्स तक पहुंच मिलती है. इसी तरह अन्नदा चौक, कार्मेल स्कूल चौक, मटवारी, बस स्टैंड, खिरगांव आदि इलाकों में एनएएस की खेप बड़े पैमाने पर उपलब्ध है.
रोड पर तो छापेमारी होती, दुकानों में नही
हजारीबाग पुलिस वाहवाही बटोरने के लिए सड़कों पर छापेमारी करती थी, हर दस-पांच दिन में जीटी रोड, बरही, चौपारण, शहर में छात्रों के पास से लाखों का गांजा और अफ़ीम बरामद करती थी, लेकिन उन अड्डों पर भी नज़र रखती थी, जहां ये नशीले पदार्थ बेचे जाते थे. ऐसा नहीं होता. नतीजा यह है कि हजारों युवा नशे की लत का शिकार हो रहे है.