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झारखंड


झारखंड में खिलाड़ियों से खेला: एक आंख में सूरमा, एक आंख में काजल

सरकार के आवासीय और डे बोर्डिंग सेंटर 2 साल से बंद
झारखंड में खिलाड़ियों से खेला: एक आंख में सूरमा, एक आंख में काजल
आसिफ नईम/ न्यूज11 भारत 

 

रांची: झारखंड खेल विभाग की व्यवस्था ही निराली है. खेल विभाग एक आंख में सूरमा और दूसरे में काजल जैसी कहावत को चरितारथ करता हुआ नजर आ रहा है. राज्य के होनहार खिलाड़ियों के साथ कुछ ऐसा ही रवैया अपनाया जा रहा है. सरकार और सीसीएल की ओर से खेलगांव में संचालित खेल एकेडमी के बच्चों को खेलने की व्यवस्था सरकार ने दे रखी है. दूसरी तरफ सरकार खुद अपने खेल सेंटर को 2 वर्ष से बंद रखे हुए है. 2 साल से राज्य के सभी जिलों में संचालित सेंटरो के खिलाड़ियों का भविष्य अधर में पड़ गया है. इन खिलाड़ियों को लेकर सरकार का कोई ध्यान आकृष्ट नहीं हो पा रहा है. इतना ही नहीं खेल के साथ-साथ इन खिलाड़ियों के पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है. 

 

राज्य में 34 आवासीय सेंटर है संचालित

 

राज्य में 34 आवासीय सेंटर विभिन्न जिलों में संचालित है. जहां खिलाड़ी आर्चरी, फुटबॉल, हॉकी, एथलेटिक्स और बैडमिंनटन में अपना करियर संवारने की जद्दोजहद कर रहे हैं, लेकिन कोविड-19 की पहली लहर आने के बाद से ये सभी सेंटर बंद पड़े हुए हैं. खिलाड़ियों का खेल पूरी तरह से बंद हो गया है. इन खिलाड़ियों को किसी भी तरह की प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था नहीं कराई गई है और न ही ये खिलाड़ी ऑनलाइन प्रैक्टिस कर पा रहे हैं. हर सेंटर में 25 खिलाड़ियों को संवारा जाता है.

 


 

खाने के लिए खिलाड़ियों को पैसा दिया जाता है

 

खिलाड़ियों को 2 साल से घर पर बैठाकर सरकार खाना जरूर दे रही है. इन्हे प्रतिदिन 175 रूपए के हिसाब से खाने का पैसा खिलाड़ियों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है. आवासीय सेंटर के अलाव लगभग 80 डे बोर्डिंग सेंटर भी विभिन्न जिलों में संचालित है. इन सेंटरों में आवासीय सेंटर के खेल के अलावा कबड्डी, खो-खो, ताइक्वांडो, हैंडबॉल, बास्केटबॉल और वॉलीबॉल खेल में बालक-बालिका खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाता है. 

 

खेल एकेडमी में 150 बच्चों का हो रहा प्रशिक्षण

 

सरकार और सीसीएल की ओर से खेलगांव में संचालित खेल एकेडमी के 150 बच्चों को इसी महीने से प्रशिक्षण देने की छूट दे दी गई है. 150 बच्चे विभिन्न खेलों में प्रैक्टिस करना भी शुरू कर दिए. कोरोना की पहली लहर में एकेडमी के 350 बच्चे भी घर भेज दिए गए थे, लेकिन धीरे-धीरे फिर बच्चों को एकेडमी में बुलाया गया. सरकार को चाहिए की जिस तरह से खेल एकेडमी के बच्चों को खेलने को लेकर छूट दी है, वैसे ही अपने सेंटर को भी खिलाड़ियों को सेंटर में प्रैक्टिस करने की छूट दे दी जाए. 

 

अगले महीने से कई टूर्नामेंट झारखंड में शुरू हो जाएंगे 

 

कोरोना की रफ्तार कम होने के बाद खिलाड़ी अब मैदान में नजर आने लगे हैं. विभिन्न खेलों के खिलाड़ी मैदान में प्रैक्टिस करना शुरू कर दिए हैं. खेल संघ भी अपना खेल कैलेंडर जारी कर दिए है. राज्य के विभिन्न जिलों में सितंबर से एथलेटिक्स के राज्य स्तरीय टूर्नामेंट शूरू हो जाएंगे. इसके अलावा भी कई खेलों के टूर्नामेंट सितंबर और अक्टूबर से शूरू हो जाएंगे. अब सबसे बड़ी समस्या उन सेंटरों के खिलाड़ियों के लिए है, जो अभी तक प्रैक्टिस भी सेंटर के बंद होने से शुरू नहीं कर पाए हैं. जब खिलाड़ी टूर्नामेंट में अपना प्रदर्शन नहीं दिखा पाएंगे, तो ऐसे खिलाड़ियों को फिर राज्य और राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में खेलने का मौका भी नहीं मिल पाएगा.





 
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