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रांची: झारखंड के उरांव और संताल ट्राइब्स की लड़कियों को उनके पैतृक संपत्ति में अधिकार मिले या नहीं, इस पर झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि कस्टमरी लॉ में उत्तराधिकारी मामले पर पारंपरिक शासन व्यवस्था को कोडिफाइ कर उसे वैधानिक रूप देने की आवश्यकता है. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की अदालत ने कहा है कि संपत्ति के दावे से संबंधित सभी मामले में टाइटल की वैधता को लेकर पारंपरिक कस्टमरी लॉ को देखने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में यह उपयुक्त समय है कि उत्तराधिकारी के मामले में कानून बने. कस्टमरी लॉ में लड़कियों अथवा महिलाओं को उत्तराधिकारी बनाने से बाहर रखने की बातों से ज्यादा जरूरी है कि पारंपरिक शासन व्यवस्था को और मजबूत किया जाये. न्यायादेश का असर सामान्य कस्टमरी लॉ पर गहरा असर करेगा.
मधु किश्वर बनाम स्टेट ऑफ झारखंड (1996) में 140 पृष्ठों का जजमेंट आया था. इसमें कहा गया था कि महिलाओं को कस्टमरी लॉ से बाहर करना उनके अस्तित्व और संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार से वंचित करना है. पितृ सत्ता में एक ज्वाइंट फैमिली में पुरुष, महिला, बच्चे, लड़कियों का अलग-अलग दायित्व परिभाषित है. ऐसे में सीएनटी की धारा सात और आठ में यह कहा गया है कि पुरुष सदस्यों की मौत होने पर आश्रित परिवार खास कर मां, बेवा पत्नी, बेटी, दामाद, पोती और अन्य का जीवन यापन दूसरे पर चला जाता है, जो रिश्तेदार होते हैं. इससे महिलाओं और आश्रितों का जीवन यापन कृषि योग्य भूमि से दूर हो जाता है और जिसका प्रभाव उनके दैनिक कार्यों पर सीधा दिखता है. परंपरा के अनुसार पुरुषों के साथ-साथ महिला भी परंपरा के आधार पर निहित अधिकारों का संयुक्त रूप से निर्वह्न करती है. अंतिम पुरुष टेनेंट का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह परिवार के मुखिया के निधन पर आश्रित महिला रिश्तेदारों के जीविकोपार्जन की रक्षा करे.
अदालत ने प्रभा मिंज की याचिका पर यह फैसला दिया. अदालत को प्रार्थी की तरफ से बताया गया कि उनके पिता सारन लिंडा रांची के टाटीसिलवे के खाता नंबर 123 के वास्तविक टाइटल होल्डर थे. जमींदारी प्रथा के वेस्ट होने के बाद सारन लिंडा शांति गुड़ा, अनिता करुणा मिंज और प्रभा मिंज (तीनों बेटियां) को छोड़ गुजर गये. इसके बाद सारनी मिंज के नाम से जमीन की दाखिल खारिज करायी और 20.8.1985 के बाद से नियमित लगान रसीद कट रही है. याचिकाकर्ता के अनुसार उनकी मां की मृत्यु के बाद मार्था एक्का, भैयाद माइकल मिंज और अर्थर मिंज ने घर बनाना शुरू कर दिया. इन लोगों ने हल्का कर्मचारी के साथ मिल कर गलत जमाबंदी करा कर रैयत के साथ वगैरह जुड़वा दिया और दस्तावेज में हेरफेर कर दी. सीएनटी एक्ट के नियमों के विपरीत दस्तावेजों में उलट फेर कर दिया. मामले पर विस्तार से सुनवाई करने के बाद अदालत ने यह फैसला दिया.