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रांचीः गुजरात के गांधीनगर सेसन कोर्ट ने 81 साल के आसाराम बापू को एक महिला के रेप मामले में आज उम्र कैद की सजा सुनाई. सोमवार (31 जनवरी) को सेशन कोर्ट ने आसाराम बापू को दोषी करार दिया था. इससे पहले 25 अप्रैल 2018 को राजस्थान के जोधपुर कोर्ट ने यूपी के एक नाबालिग से रेप के मामले में आशाराम को उम्र कैद की सजा सुनायी थी. आपको बता दें, इस वक्त आशाराम बापू जोधपुर जेल में बंद हैं. 10 साल से जेल में बंद आशाराम बापू के खिलाफ दुष्कर्म का यह मामला दो दशक पुराना है. इसको लेकर अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में 2013 में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. प्राथमिकी के मुताबिक, महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने बाबा के आश्रम में 2001 से लेकर 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म किया गया. महिला तब बाबा के आश्रम में ही थी.
आशाराम बापू के खिलाफ इन मामलों में पुलिस ने 2014 के जुलाई माह में चार्जशीट दाखिल की थी. जिसमें आसाराम बापू की पत्नी समेत छह अन्य को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों में से एक की मौत हो गयी है. अदालत ने पांच अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. जबकि आसाराम बापू को आईपीसी की धारा 342, 357, 376, 377 के तहत सजा सुनायी गयी और पीड़िता को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. पीड़ित महिला की छोटी बहन ने भी आसाराम बापू के बेटे नारायण सांई पर भी रेप की शिकायत की थी. पीड़िता के मुताबिक, आसाराम ने उसके साथ गुरु पूर्णिमा के दिन दुष्कर्म किया था. आसाराम ने इसी दिन उसे वक्ता के रूप में चुना था. इसके बाद आसाराम के फार्म हाउस शांति वाटिका में बुलाया गया था. आश्रम का एक अन्य व्यक्ति महिला को फार्म हाउस ले गया. जहां आसाराम ने हाथ-पैर धोकर कमरे के अंदर बुलाया. बाद में एक कटोरी घी मंगवाने को कहा. इसके बाद आसाराम ने अपने सिर की मालिश करने को कहा. मालिश करते समय ही आसाराम ने गंदी हरकतें करनी शुरू कर दी थी. इस दौरान वह भागने की कोशिश करने लगी. लेकिन आसाराम ने उसके साथ मारपीट की. इसके बाद आसाराम ने जबरन दुष्कर्म के बाद उसके साथ अप्राकृतिक यौनाचार भी किया.
28 फरवरी, 2014 को सूरत की दो पीड़ित बहनों में से एक के पति पर जानलेवा हमला किया गया था. इसके 15 दिन बाद आसाराम के वीडियोग्राफर राकेश पटेल पर भी जानलेवा हमला किया गया. हमले के कुछ दिनों बाद सूरत के एक कपड़ा मार्केट में गवाह दिनेश भगनानी पर तेजाब फेंक दिया गया. ये तीनों गवाह हमले में बच गए थे. 23 मार्च 2014 को एक गवाह अमृत प्रजापति को गोली मार दी गई. इसी मामले पर जनवरी 2015 में गवाह अखिल गुप्ता की मुजफ्फरनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. एक महीने बाद, आसाराम के निजी सहायक के रूप में काम करने वाले राहुल सचान पर हमला किया गया. जोधपुर कोर्ट में गवाही देने पहुंचे राहुल पर कोर्ट परिसर में ही जानलेवा हमला किया गया. राहुल सचान हमले में बच गए. 25 नवंबर 2015 को लापता हो गए और तब से उनका कोई पता नहीं चला. गवाहों पर हमलों का सिलसिला जारी रहा और 13 मई 2015 को पानीपत में महेंद्र चावला पर हमला किया गया. महेंद्र की जान बच गई थी. इसके तीन महीने बाद एक अन्य गवाह 35 वर्षीय कृपाल सिंह की जोधपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कृपाल सिंह ने जोधपुर कोर्ट में पीड़िता के पक्ष में गवाही दी थी.
शुरुआती दौर में आसाराम ने अपने 'व्याख्यान, देशी औषधि और भजन-कीर्तन' से गुजरात के गांवों के गरीब, पिछड़े और आदिवासी लोगों को आकर्षित किया. बाद में धीरे-धीरे इसका प्रभाव गुजरात के शहरी क्षेत्रों के मध्यम वर्ग में भी बढ़ने लगा. शुरुआती वर्षों में आसाराम के व्याख्यानों के बाद प्रसाद के नाम पर मुफ्त भोजन दिया जाता था. आसाराम के फॉलोअर्स की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी और गुजरात के कई शहरों और देश के विभिन्न राज्यों में भी उसके आश्रम खुलने लगे. दो-तीन दशकों में आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं ने मिलकर देश-विदेश में 400 आश्रमों का साम्राज्य खड़ा कर लिया था.