न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने आज यानी बुधवार को मोरहाबादी में 24 दिनों से अनशनरत सहायक पुलिसकर्मियों के साथ मुलाकात की. इस दौरान सहायक पुलिसकर्मियों ने दास को एक ज्ञापन सौंपा और अपनी मांगे रखी. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने पिछले साल जो वादा किया था, उसे भी पूरा नहीं कर रही है. रघुवर दास ने कहा कि झारखंड सरकार को उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए. वे सहायक पुलिसकर्मियों के साथ सांकेतिक रूप से अनशन पर बैठे. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन आंदोलनरत कर्मियों की मांगों पर विचार करने का आग्रह किया.
समायोजन का वादा किया था उनकी सरकार ने
रघुवर दास ने सीएम को पत्र लिखकर पुलिसकर्मियों के समायोजन की मांग की है. उन्होंने कहा है कि झारखंड अति नक्सल प्रभावित राज्यों में से एक रहा है. यहां के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण नक्सली गतिविधियों में यहां के युवा मजबूरी में शामिल होते रहे हैं. हमारी सरकार ने काफी विचार विमर्श के पश्चात नक्सल क्षेत्र के युवक और युवतियों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने के उद्देश्य से राज्य में सहायक पुलिसकर्मी की नियुक्ति की महत्वकांक्षी योजना प्रारंभ की थी, जिसमें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवक और युवतियों को सहायक पुलिस के रूप में नियुक्त कर तीन वर्षों का पुलिस प्रशिक्षण दिया गया था. जिसे भविष्य में राज्य में उपलब्ध होने वाली पुलिस पदों की नियुक्तियों में प्राथमिकता देकर समायोजित किया जाना था.
रघुवर दास ने कहा कि सहायक पुलिस के रूप में प्रशिक्षित ये कर्मी अब काफी उपयोगी हो चुके हैं. जिनका उपयोग ट्रैफिक पुलिस, सुरक्षा पुलिस के रूप में किया जाता रहा है. कोरोना काल में इनकी भूमिका काफी उपयोगी और सराहनीय रही है. यह भी उल्लेखनीय है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के इन युवक और युवतियों का सहायक पुलिस के रूप में नियुक्त होने के फलस्वरूप राज्य में नक्सल गतिविधियों मे कमी आई थी. कारण यह था कि पूर्व में जहां नक्सल क्षेत्रों से संबंधित युवक भटककर और आर्थिक प्रलोभन के कारण नक्सल गतिविधियों में शामिल हो जाते थे, वहीं पर सहायक पुलिसकर्मी के रूप में नियुक्ति होने के कारण वे मुख्यधारा में शामिल हुए. मानदेय प्राप्त होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति सबल हुई और अपने पैरों पर खड़े हो पाए. फलतः नक्सल गतिविधियों के लिए स्थानीय युवक उपलब्ध नहीं हो रहे थे.
सभी पुलिसकर्मी आदिवासी-मूलवासी हैं
दुर्भाग्य की बात है कि ये सहायक पुलिसकर्मी जो स्थानीय आदिवासी-मूलवासी ही हैं. अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ पिछले 24 दिनों से अपने जीवकोपार्जन के लिए रांची में विषम परिस्थितियों में नवरात्र-दुर्गा पूजा के बीच आंदोलनरत हैं. इनकी स्थिति नाजूक हो गई है. आंदोलन के कारण इनके बच्चों की पढ़ाई भी छूट गई है. चार पुलिसकर्मी की मौत हो चुकी है और विगत दिनों में एक और महिला सहायक पुलिसकर्मी जो गुमला की रहने वाली थी, की भी मौत हो गई है.