Thursday, Apr 25 2024 | Time 05:47 Hrs(IST)
 logo img
NEWS11 स्पेशल


मनरेगा से किए बागवानी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे है झारखंड के किसान

मनरेगा से किए बागवानी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे है झारखंड के किसान
न्यूज11 भारत




रांची: मनरेगा के तहत किए गए बागवानी योजना से झारखंड के किसान विशेषकर महिला किसान आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े हैं. इस योजना से अकुशल श्रमिकों के जीवन, आजीविका के लिए दीर्घकालीन टिकाऊ परिसंपत्ति का निर्माण हुआ हैं. इसको लेकर उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी के  प्रबंध निकाय प्रोफेसर डॉ अरविंद हंस और उनके नेतृत्व में अध्ययन कर रहे प्रेमशंकर सहित अन्य ने राज्य के गुमला व खूंटी जिला के पांच प्रखंडों में 130 लाभुकों के उपर सर्वे किया. जिससे पता चला कि इस योजना से आर्थिक उन्नति के साथ सामाजिक और व्यक्तिगत पहचान दिलाने में इस योजना की महत्वपूर्ण भागीदारी रही है. वर्ष 2021 तक कुल 61,231 लाभुक परिवार इस योजना से जुड़े, जिन्होंने 52314 एकड़ जमीन में इस योजना का लाभ लिया. योजना में शामिल लाभुकों ने सर्वे में बताया कि 72.56 फीसदी महिलाओं ने दावा किया कि इस यह योजना समावेशी योजना के रूप में वे सफल रही. इस योजना में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति का समावेश लगभग 83.76 फीसदी रहा. इस योजना में गैर सरकारी संगठनों, समुदाय आधारित संगठनों और विभागीय प्रशिक्षणा और सहायता के प्रावधान ने सीमांत वर्ग के परिवारों को आकर्षित किया और अधिकांश लाभार्थियों को सहायता सुनिश्चित की. साथ ही योजना से संकटकाल में 50 फीसदी परिवारों का पलायन भी रूका. 

 


 

क्या थी योजना 

 

वर्ष 2016 में खूंटी, गुमला, लातेहार, पाकुड़ जिलों के नौ प्रखंडों में एक पायलट के रूप में ग्रामीण विकास विभाग झारखंड सरकार द्वारा मनरेगा के तहत बागवानी शुरू की. आने वाले दिनों में इसकी सफलता को देखते हुए 24 जिलों में यह चलाई जाने लगी. बिरसा मुंडा बागवानी योजना के नाम से इसकी शुरूआत हुई. तब तीन वर्षो की योजना थी और इसमें मुख्य रूप से आम की बागवानी होती थी. वर्ष 2020 में इसका नामकरण बिरसा हरित ग्राम योजना किया गया. इसमें बदलाव करते हुए योजना के तहत लाभुकों को वर्षो तक सुविधाएं मिलने शुरू हुई. इसमें मिश्रित फलों में जैसे नींबू व  स्थानीय विशेष की मांग पर आधारित उपज को बढ़ावा दिया गया. इससे गांव में आमदनी भी बढ़ी और रोजगार के नए मार्ग खुले.
अधिक खबरें
महुआ के 'फूलों की खुशबू' से गरीबों के जीवन में आ रही 'खुशहाली'
अप्रैल 08, 2024 | 08 Apr 2024 | 1:56 AM

हजारीबाग में मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में जंगलों में महुआ के फूल गिरने लगते हैं. इन्हें इकट्ठा करने के लिए लोग मार्च से मई महीने में करीब 15 दिनों तक जंगल जाते हैं. इस दौरान महुआ के फूलों को चुनने के लिए पेड़ के नीचे की जमीन को साफ करने के लिए सूखे पत्तों में आग लगा दी जाती है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा से खास बातचीत, बेबाकी से रखी अपनी बात
अप्रैल 05, 2024 | 05 Apr 2024 | 9:36 AM

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने आवास ऋषभ वाटिका में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की राजनीति के अलावे देश के बड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. कहा कि 1984 में भले ही हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की जनता ने मुझे महज 10 हुजार 727 वोट दिया लेकिन मुझे इन वोटों के साथ एक निर्वाचन क्षेत्र मिल गया. मैं जब चाहूं हजारीबाग में भाजपा को दो फाड़ कर सकता हूं. इन 40 वर्षों के अपने इ

महुआ बन रहा ग्रामीणों के आर्थिक संरचना का आधार: बिचौलियों के कारण नहीं मिल रहा ग्रामीणों को उचित मूल्य
मार्च 28, 2024 | 28 Mar 2024 | 11:25 AM

झारखण्ड के दक्षिणी छोर पर बसे सिमडेगा की मुख्य आर्थिक संरचना वन उत्पादों पर आधारित है. कल कारखानों से रहित इस जिले मे मुख्य जीविका वनो से निकली उत्पादो पर ही अधारित हैं इन मे से सबसे महत्वपुर्ण उत्पाद महुआ है.

Summer Vacation: अगर आप भी गर्मी में कर रहे है घूमने का प्लान तो जरूर विजिट करें देश की ये बेस्ट जगहें
मार्च 18, 2024 | 18 Mar 2024 | 1:20 AM

हमारा भारत एक ऐसा देश है जहां हर मौसम में घूमने के लिए जगह बदल जाती है. अब लोगों को लगभग लगभग ठंड से राहत मिल गयी है. वहीं अब गर्मी का मौसम आने वाला ही है. ऐसे में लोग अभी से ही गर्मियों की छुट्टी में घूमने का प्लान बना लेते है. अगर आप भी घूमने का प्लान बना

महिलाओं को सफर में नहीं लेना होगा टेंशन क्योंकि अब साथ है 'मेरी सहेली'
मार्च 15, 2024 | 15 Mar 2024 | 3:21 AM

दिन-ब-दिन महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं. ट्रेन हो या चाहे बस कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. ऐसे में सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई तरह की योजना लाई जाती है. मेरी सहेली योजना भी एक ऐसी योजना है, जिसमें महिलाओं को यात्रा के समय सुविधाएं दी जाती है.