JBVNL ने विद्युत नियामक आयोग में दायर किया वित्तीय वर्ष 2022-23 का नया टेरिफ प्लान
कौशल आनंद/न्यूज11 भारत
-65 सौ करोड़ के रेवन्यू गेप दर्शाया है JBVNL ने, अगले वित्तीय वर्ष में 9000 करोड़ का खर्च दिखाते हुए टेरिफ फाइल किया है
-विगत दो वित्तीय वर्ष से नहीं बढ़ी है बिजली दर, 2020-21 में कोरोना के कारण आयोग ने नहीं बढ़ाया था दर, वित्तीय वर्ष 2021-22 में आयोग डिफंग होने के कारण नहीं बढ़ी दरें
-बिजली दर बढ़ाने या नहीं बढ़ाने के लिए आयोग में सरकार को देना होगा चेयरमैन या मेंबर
रांची: बिजली उपभोक्ताओं को जेबीएनएल झटका दे सकता है. जेबीवीएनएल झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग में आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए नया बिजली टेरिफ प्लान एवं अपने खचे से संबंधित एनुअल रेवन्यू रिक्यावरमेंट रिपोर्ट जमा कर दिया है. इसके तहत कम से कम वर्तमान बिजली दर से 25 प्रतिशत तक बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव है. अगर आयोग इस साल जेबीवीएनएल के नए बिजली टेरिफ प्लान पर कोई निर्णय लेता है तो निश्चित तौर पर बिजली उपभोक्ताओं को जोरदार झटका मिल सकता है. हालांकि पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 के जेबीवीएनएल के बिजली टेरिफ पर आयोग डिफंग होने के कारण कोई फैसला नहीं हो सका. यानि की चालू वित्तीय वर्ष में वर्तमान बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी हुई. इसी तरह वित्तीय वर्ष में 2020-21 में भी आयोग ने उपभोक्ताओं के पक्ष में निर्णय लेते हुए बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी. मगर जेबीवीएनएल ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अपना नया बिजली टेरिफ प्लान आयोग दायर कर दिया है.
दो साल बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होने से JBVNL को 6500 करोड़ नुकसान का अनुमान
जेबीवीएनएल से मिली जानकारी के अनुसार जेबीवीएनएल के द्वारा एनुअल रिपोर्ट में कुल 6500 करोड़ रूपए का नुकसान दिखाया गया है. विगत दो वित्तीय वर्ष से बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होने के कारण बिजली खरीद एवं आपूर्ति में 6500 करोड़ का गेप दिखाया गया है. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में आयोग द्वारा निर्णय नहीं लिए जाने के कारण कुल 1800 करोड़ का नुकसान दिखाया गया है. ओवर ऑल जेबीवीएनएल ने अपने रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 9000 करोड़ का खर्च दिखाया गया है. इस हिसाब से जेबीवीएनल ने करीब 25 प्रतिशत बिजली दर में बढ़ोतरी का दावा ठोंका है.
बिजली टेरिफ में सुनवाई के लिए कम से कम एक मेंबर होना अनिवार्य
किसी भी बिजली वितरण कपंनी के टेरिफ पर निर्णय लेने के लिए आयोग में कम से कम एक मेंबर होना का जरूरी है. बिजल कंपनी के टेरिफ पर आयोग जनसुनवाई करके ही अंतिम कोई फैसला लेता है. इसलिए अगर जेबीवीएनएल बिजली दर बढ़ेगी या नही, यह आयोग पर निर्भर है. मगर आयोग फिलहाल डिफंग चल रहा है, इसलिए अब यह सरकार पर निर्भर करेगा कि वह कब चेयरमैन या मेंबर की नियुक्ति करती है.
दो वित्तीय वर्ष में नहीं हुई है बिजली दर में कोई बढ़ोतरी
पिछले वर्ष वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भी दिसंबर में जेबीवीएनएल ने नया बिजली टेरिफ बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था. मगर पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण आयोग में दो मेंबरों ने उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसला देते हुए घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली टेरिफ में कोई बढ़ोतरी नहीं की। 2019-20 वाला ही टेरिफ अब तक लागू है.
19 फरवरी से ही डिफंग हो चुका है नियामक आयोग
राज्य का महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था झारखंड विद्युत नियामक आयोग आगामी 19 फरवरी को पूरी तरह से डिफंग (निष्क्रिय) हो गया है. 19 फरवरी को आयोग में बचे अंतिम सदस्य (विधि) प्रवास कुमार सिंह आयोग छोड़ दिया। प्रवास कुमार सिंह को केंद्रीय नियामक आयोग का विधि सदस्य बनाए जाने के कारण वे चले गए. पिछले वर्ष जून में निवर्तमान चेयरमैन अरविंद प्रसाद के इस्तीफा दे दिया जबकि मेंबर तकनीक आरएन सिंह 9 जनवरी को सेवानिवृत हो चुके हैं. जनसुवाई या किसी भी नीतिगत निर्णय के लिए कम से कम एक मेंबर का होना संवैधानिक संस्था होने के कारण बहुत जरूरी है। इसके बिना कोरम पूरा नहीं हो पाएगा.
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इस तरह मिल रहा है उपभोक्ताओं को सब्सिडी
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201-500 यूनिट पर सब्सिडी 2.05 रूपया
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