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स्वास्थ्य


कोरोना काल के दौरान स्मार्ट फोन का बढ़ा उपयोग, बच्चों में रिकॉल सिस्टम हुआ कम

कोरोना काल के दौरान स्मार्ट फोन का बढ़ा उपयोग, बच्चों में रिकॉल सिस्टम हुआ कम

न्यूज11 भारत

रांची : कोरोना काल और उसके बाद जब जीवन सामान्य होने की ओर है, तब देखा जा रहा है कि सोसाइटी में स्मार्ट फोन का उपयोग बढ़ा है. कम पढ़े लिखे माता-पिता ने भी बच्चों को स्मार्ट फोन दे रखे हैं. इस मामले में झारखंड भी पीछे नहीं है. प्रदेश में स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. ऐनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (Annual Status of Education Report) 2021 में यह बातें सामने आई हैं. राज्य में ग्रामीण क्षेत्र के घरों में भी स्मार्ट फोन तेजी से बढ़ा है. वर्ष 2018 में झारखंड में 20.1 फीसदी परिवार के पास स्मार्ट फोन था, जो वर्ष 2021 में बढ़कर 60.2 फीसदी हो गया है. यह सर्वे झारखंड समेत देश के 25 राज्य व तीन केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया.


बच्चों में रिकॉल सिस्टम हुआ कम

रिपोर्ट के अनुसार बच्चों में रिकॉल सिस्टम भी कम हुआ है. ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चों की संख्या बढ़ी है. वर्ष 2018 से 2021 के बीच ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चे 28.6 फीसदी से बढ़कर 39.2 फीसदी हो गये. राष्ट्रीय स्तर पर इस दौरान ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चों की संख्या में 10.5% की वृद्धि हुई. झारखंड में ट्यूशन पढ़नेवाले राष्ट्रीय औसत से अधिक तेजी से बढ़े हैं. इस दौरान झारखंड में ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चों की संख्या में 13.5% की वृद्धि हुई है. पांच से 16 वर्ष के आयु वर्ग के 75,234 बच्चों को शामिल किया गया था. झारखंड के 24 जिलों के 2,535 बच्चों को सर्वे में शामिल किया गया है. सर्वे राज्य के 716 गांव के 1,881 घरों में किया गया. सर्वे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के बीच किया गया है.


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80 फीसदी परिवार कम पढे लिखें

राज्य के 60% परिवार के पास स्मार्टफोन तो है पर इसमें से 39.7% बच्चे इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं. वैसे बच्चे जिनके अभिभावक कक्षा नौ या उससे अधिक पढ़े हैं. वैसे 80% परिवार के पास व जिनके अभिभावक प्राथमिक कक्षा या उससे कम पढ़े हैं. वैसे 50% परिवार के पास स्मार्ट फोन है.


बच्चों को मिल रहा अभिभावकों का सहयोग

कोरोना काल में झारखंड के 60.3 फीसदी बच्चों को घर पर पढ़ाई में अभिभावक का सहयोग मिला. निजी स्कूल के बच्चों को सरकारी स्कूल की तुलना में अभिभावक का अधिक सहयोग मिलता है. वर्तमान में विद्यालय खुलने के साथ इसमें कमी भी आयी है.


 
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