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रांची : राजधानी में हर महीने दहेज की खातिर एक से दो विवाहिताओं की हत्या होती है. पुलिस के आंकडा के अनुसार हर वर्ष 15 से अधिक विवाहिताओं की मौत होती है और थाना में हत्या का केस दर्ज होता है. कई मामलों में ऐसा देखा गया कि विवाहिता को पहले प्रताड़ित किया जाता है इसके बाद उसे मार दिया जाता है. विवाहिता के घरवालों को जबतक इसकी जानकारी मिलती है, तबतक काफी देर हो चुकी होती है. पुलिस का कहना है कि लोभ के कारण ऐसी घटनाएं हो रही है. इसे रोकने के लिए मोहल्ला स्तर पर जागरूक अभियान चलाया जाएगा.
हत्या को आत्म हत्या का रूप देते हैं सुसराल वाले
राजधानी में देखा गया है कि दहेज की खातिर जिन विवाहिताओं की हत्या होती है उन्हें ससुराल वाले पहले आत्महत्या का रूप देते हैं. लेकिन पुलिस की जांच के बाद स्पष्ट होता है कि विवाहिता ने खुदकुशी नहीं की है उसे मार दिया गया है. ज्यादतर मामले फांसी के होते हैं. विवाहिता को मारकर फंदे पर लटका दिया जाता है. इसके बाद आरोपियों के द्वारा कहा जाता है कि विवाहिता ने खुदकुशी की है.
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क्या कहता है पुलिस का आंकडा
रांची पुलिस के अनुसार पिछले पांच वर्ष में अबतक 70 विवाहिताओं की हत्या की जा चुकी है. इसमें इस वर्ष अभी तक 13 विवाहिताओं की हत्या हो चुकी है. पिछले पांच वर्ष में देखा जाए तो वर्ष 2020 में 16,वर्ष 2019 में 12,वर्ष 2018 में 18 और वर्ष 2017 में 11 विवाहिताओं की हत्या हुई है.
हाल के दिनों में इनकी हुई है हत्या
- गोंदा इलाके में रहने वाली चंदा गाड़ी की दहेज के लिए हत्या कर दिया गया. इस मामले में चंदा के भाई दीपू के बयान पर चंदा के पति बलवीर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई है.
- नरकोपी इलाके में रहने वाली श्वेता रानी को दहेज के लिए मार दिया गया. इस मामले में श्वेता के भाई जयशंकर कुमार के बयान पर सुसराल के छह लोगों के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज हुई है.