न्यूज 11 भारत
रांची: टॉपवर्थ ऊर्जा एंड मेटल्स लिमिटेड में काम कर रहे 3000 से अधिक झारखंड के श्रमिकों की नौकरी पर आफत आ गई है. बैंक लोन डिफॉल्ट के केस में इस कंपनी का कामकाज ठप हो गया है और एनपीए की वजह से यह केस अब एनटीएसएल में ट्रांसफर कर दिया गया है.
यह कंपनी नागपुर में कार्यरत है और इसमें करीब 5000 श्रमिक कार्यरत हैं जिनमें से अधिकांश श्रमिक झारखंड, छत्तीसगढ़ के ही हैं. कर्मचारियों के एक समूह आदिवासी मजदूर संघ ने इस मामले में एक पत्र भाजपा आदिवासी मोर्चा के अध्यक्ष और सांसद समीर उरांव के अलावा एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर अभय लोढ़ा समेत कई सांसदों को भेजा है और इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि कर्मचारियों की नौकरी बरकरार रहे.
आदिवासी संघ के अध्यक्ष टायडोला शुब्बू ने कहा कि केंद्र सरकार एक तरफ आदिवासियों के विकास के लिये इतने प्रयास कर रही है. राष्ट्रपति जैसे पद आदिवासियों को दिये जा रहे हैं ताकि आदिवासी समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें तो दूसरी तरफ अफसरों की लालफीता शाही की वजह से 5 हजार से ज्यादा आदिवासी श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं.
उन्होंने कहा कि किसी भी कंपनी को बंद करके इतनी बड़ी आबादी को बेरोजगार कर देना कोई विकल्प नहीं है. सभी लोग झारखंड, छत्तीसगढ़ से आकर नागपुर में काम करते हैं और परिवार के साथ रहते हैं. कंपनी बंद होने से कामकाज बंद हो गया है. सैलरी मिलनी बंद हो गई है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार के अधिकारी बैंक प्रतिनिधियों और कंपनी प्रतिनिधियों के साथ वैकल्पिक निराकरण पर काम करे तो श्रमिक सडक पर आने से बच जायेंगे.