Thursday, Apr 25 2024 | Time 05:37 Hrs(IST)
 logo img
NEWS11 स्पेशल


रिम्स: ट्रॉली मैन होने के बावजूद परिजनों को खुद चलानी पड़ती है ट्रॉली

यहां खुद ट्रॉली का इंतजाम भी कर रहे परिजन
रिम्स:  ट्रॉली मैन होने के बावजूद परिजनों को खुद चलानी पड़ती है ट्रॉली
रांची: राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने रिम्स को सुपरस्पेशलिटी में तब्दील करने और यहां की व्यवस्था को सुधारने का बीड़ा भी उठाया है. इसी क्रम में अस्पताल में अत्याधुनिक मशीन और विभागों को शुरू कर अपग्रेड करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. मगर यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को प्रबंधन ना तो ट्रॉलीमैन दिला पा रहा है और ना ही ट्रॉली. जबकि ट्रॉली एवं ट्रॉली मैन की सुविधा अस्पताल में मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं में से एक है. लेकिन रिम्स की स्थिति ऐसी हो गई है कि यहां मरीजों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रही है. 

 

मूलभूत सुविधा नहीं मिल पाने से रिम्स में इलाज के लिए पहुंचे विकास के परिजनों को भी परेशान होना पड़ा. विकास के पिताजी ने बताया कि वह बिहार से अपने बेटे को इलाज के लिए लाया था. विकास के पैरों में तकलीफ है और वह चलने में असमर्थ है. जांच के लिए ऑर्थो ओपीडी में डॉ विजय कुमार को दिखाया. जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे ऑर्थो वार्ड में ले जाने की सलाह दी . ऑर्थो वार्ड जाने के लिए ट्रॉली की जरूरत पड़ी, इसलिए  इमरजेंसी गेट के पास खड़े ट्रॉली मैन को मदद के लिए कहा मगर उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि  यह ट्रॉली एंबुलेंस से आने वाले गंभीर मरीजों के लिए है आप अंदर जाकर बात कर ले. कर्मचारियों की बात सुनकर मैं अंदर गया लेकिन वहां भी किसी ने ट्रॉली के लिए मदद नहीं की.

 

कई घंटों बाद खुद किया ट्रॉली का इंतजाम :

 

विकास के पिता ने बताया कि इमरजेंसी के पास कई घंटे खड़े रहकर ट्रॉली खाली होने का इंतजार किया. लेकिन कोई भी ट्रॉली खाली नहीं मिलने लगी. अस्पताल परिसर के चक्कर लगाए, ट्राली में वार्ड से बाहर निकलने वाले कई मरीज के परिजनों से बात की. तब जाकर एक ट्रॉली खाली हुई उसे लेकर मैं अपने बेटे के पास ले आया. 

 

रिम्स के पास 60 से अधिक है ट्रॉली मैन :

 

हर तरफ से हताश और परेशान मरीजों को इलाज से पहले रिम्स की सबसे बड़ी बीमारी से सामना करना पड़ता है वो है कामचोरी रिम्स में अक्सर परिजन मरीजों को खुद ही ट्रॉली या स्ट्रेचर पर इधर से उधर ले जाते नजर आते हैं.जबकि हकीकत ये है की RIMS में 60 से अधिक ट्रॉली मैन नियुक्त हैं.

 


 

परिजन इंतजार करना नहीं चाहते : डॉ डीके सिन्हा, जनसंपर्क अधिकारी सह सर्जन

 

वही रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी सह सर्जन डॉ डी के सिन्हा ने बताया कि  ट्रॉली मैम की संख्या पर्याप्त है, लेकिन कई बार परिजन इतनी हड़बड़ी में होते हैं कि इंतजार तक करना नहीं चाहते. और खुद ही ट्रॉली लेकर चले जाते हैं.

 
अधिक खबरें
महुआ के 'फूलों की खुशबू' से गरीबों के जीवन में आ रही 'खुशहाली'
अप्रैल 08, 2024 | 08 Apr 2024 | 1:56 AM

हजारीबाग में मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में जंगलों में महुआ के फूल गिरने लगते हैं. इन्हें इकट्ठा करने के लिए लोग मार्च से मई महीने में करीब 15 दिनों तक जंगल जाते हैं. इस दौरान महुआ के फूलों को चुनने के लिए पेड़ के नीचे की जमीन को साफ करने के लिए सूखे पत्तों में आग लगा दी जाती है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा से खास बातचीत, बेबाकी से रखी अपनी बात
अप्रैल 05, 2024 | 05 Apr 2024 | 9:36 AM

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने अपने आवास ऋषभ वाटिका में हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की राजनीति के अलावे देश के बड़े मुद्दों पर अपनी राय रखते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. कहा कि 1984 में भले ही हजारीबाग संसदीय क्षेत्र की जनता ने मुझे महज 10 हुजार 727 वोट दिया लेकिन मुझे इन वोटों के साथ एक निर्वाचन क्षेत्र मिल गया. मैं जब चाहूं हजारीबाग में भाजपा को दो फाड़ कर सकता हूं. इन 40 वर्षों के अपने इ

महुआ बन रहा ग्रामीणों के आर्थिक संरचना का आधार: बिचौलियों के कारण नहीं मिल रहा ग्रामीणों को उचित मूल्य
मार्च 28, 2024 | 28 Mar 2024 | 11:25 AM

झारखण्ड के दक्षिणी छोर पर बसे सिमडेगा की मुख्य आर्थिक संरचना वन उत्पादों पर आधारित है. कल कारखानों से रहित इस जिले मे मुख्य जीविका वनो से निकली उत्पादो पर ही अधारित हैं इन मे से सबसे महत्वपुर्ण उत्पाद महुआ है.

Summer Vacation: अगर आप भी गर्मी में कर रहे है घूमने का प्लान तो जरूर विजिट करें देश की ये बेस्ट जगहें
मार्च 18, 2024 | 18 Mar 2024 | 1:20 AM

हमारा भारत एक ऐसा देश है जहां हर मौसम में घूमने के लिए जगह बदल जाती है. अब लोगों को लगभग लगभग ठंड से राहत मिल गयी है. वहीं अब गर्मी का मौसम आने वाला ही है. ऐसे में लोग अभी से ही गर्मियों की छुट्टी में घूमने का प्लान बना लेते है. अगर आप भी घूमने का प्लान बना

महिलाओं को सफर में नहीं लेना होगा टेंशन क्योंकि अब साथ है 'मेरी सहेली'
मार्च 15, 2024 | 15 Mar 2024 | 3:21 AM

दिन-ब-दिन महिलाओं के साथ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं. ट्रेन हो या चाहे बस कहीं भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है. ऐसे में सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई तरह की योजना लाई जाती है. मेरी सहेली योजना भी एक ऐसी योजना है, जिसमें महिलाओं को यात्रा के समय सुविधाएं दी जाती है.