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हजारीबाग/डेस्क: शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारी या फिर चंपई सरकार भले दंभ भर ले की राज्य या जिले में गुड गवर्नेंस है, मगर जमीनी हकीकत यह है कि हजारीबाग में गुड गवर्नेंस पूरी तरह से फेल है. यहां पूरी तरह से जमीन माफियाओं का राज है. जिला मुख्यालय से लेकर अंचलों तक अधिकारी भू माफिया के इशारे में तक धीना धीन कर रहे है. हालात के मुताबिक यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा की हजारीबाग में जमीन दलालों के इशारे पर अधिकारी भू माफिया की तरह काम कर रहे है.
विवादित भूमि पर फिफ्टी फिफ्टी का हिस्सा लेते है अधिकारी
उपायुक्त नैंसी सहाय हजारीबाग के कार्यकाल में अधिकारियो का मनोबल किस कदर बढ़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं, की विवादित जमीन का म्यूटेशन अंचलों में बैठे अधिकारी फिफ्टी फिफ्टी की तर्ज पर कर रहे है. मसलन यदि कोई जमीन दलाल एक एकड़ जमीन का म्यूटेशन कराने अंचल गया तो अधिकारी फिफ्टी परसेंट जमीन अपने किसी रिश्तेदार के नाम करवा लेते है, फिफ्टी परसेंट ही जमीन दलाल अपने नाम जमीन का दाखिल खारिज करवाते. यह सिलसिला हर अंचल में देखने को मिल सकता. यदि जांच की जाए तो प्रत्येक अंचलाधिकारी आज की तारीख में करोड़ों की जमीन के मालिक बन बैठे है का खुलासा हो सकता है.
बिना पैसे के जायज काम भी नही हो रहा अंचलों में
जिले के अंचल कार्यालयों की हालत यह है की भू-माफिया की तर्ज पर काम कर रहे अधिकारी अंचल में एक भी काम नही कर रहे. जमीन के सारे कागज दुरुस्त रहने के बाद भी अंचल में बिना रिश्वत के एक भी काम नही होता. छोटे से छोटे जमीन का भी दाखिल खारिज करने के लिए भी न्यूनतम दस से बीस हजार रुपए का रिश्वत आम लोगो को देना पड़ रहा है.
सरकारी जमीन पर भी कब्जा दिलवा रहे अंचल के अधिकारी
वर्तमान उपायुक्त नैंसी सहाय के कार्यकाल में भू-माफिया अधिकारी और कर्मचारी किस हद तक बेलगाम हो गए है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैं, की ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों ने सरकारी जमीन पर भी भू-माफियाओं को कब्जा दिलवा दिया है. शहर के ब्रांबे हाउस स्थित डेढ़ एकड़ सरकारी जमीन को अपने कब्जे में ले रखा है. प्रशासन की जानकारी में पूरा मामला है, मगर आज तक इस बेशकीमती जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने की दिशा में उपायुक्त की ओर से कोई पहल नही की गई.