न्यूज 11 भारत,
नई दिल्ली : आर्थिक तौर पर कमजोर (इडब्ल्यूएस) सवर्णों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है. शीर्ष अदालत में उच्च शिक्षा में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को आरक्षण की संवैधानिक वैधता और वित्तीय स्थितियों को लेकर एक याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन और सरकारी नौकरियों में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रावधान करने वाले संविधान के 103वें संशोंधन की वैधता को चुनौती दी गई थी. शीर्ष अदालत ने इस चुनौती याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई की और फैसले को सुरक्षित रखा.
भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता समेत वरिष्ठ वकीलों की दलील सुनने के बाद इस संवैधानिक पहलू पर फैसला सुरक्षित रखा.
बता दें कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के देने के लिए वर्ष 2019 में संविधान का 103वां संशोधन किया गया था. इसके बाद देश में ईडब्ल्यूएस कोटा लागू किया गया था. सरकार की ओर से सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले को लेकर आर्थिक रूप से कमजो वर्ग के लोगों के आरक्षण को लागू कर दिए जाने के मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.