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रांची: अवैध खनन को रोकने के लिए आत्मदाह का प्रयास करने वाले बाबा विजय दास का दिल्ली में निधन हो गया है. उन्होंने भरतपुर के पसोपा इलाके में चल रहे अवैध खनन को लेकर धरने के बीच खुद को आग लगा लिया था. संत विजय दास का नई दिल्ली में देर रात 3 बजे निधन हो गया. वो सफदरजंग हॉस्पिटल की बर्न यूनिट में एडमिट थे, संत को क्रिटिकल हालत में दो दिन पहले ही जयुपर से शिफ्ट कराया गया था. संत ने 20 जुलाई को आत्मदाह किया था. 22 जुलाई की रात उन्होंने अंतिम सांस ली.
संत का पार्थिव शरीर नई दिल्ली से यूपी के बरसाना लाया जाएगा, जहां उनकी 3 साल की पोती के संत के अंतिम दर्शन के बाद उनका आज अंतिम संस्कार किया जाएगा.
बाबा विजय दास हरियाणा के रहने वाले थे
हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे संत विजय दास. साधु बनने से पहले से पहले उनका नाम मधुसूदन शर्मा था. एक हादसे में उनके बेटे और बहू की मौत हो गई थी. इसके बाद परिवार में बाबा और उनकी एक पोती बचे थे. अब सिर्फ पोती रह गई जो बाबा के जाने के बाद अनाथ हो गई है.
12 साल पहले आए थे बरसाना के मान मंदिर
बेटे और बहू की मौत के बाद वह अपनी पोती को लेकर उत्तर प्रदेश के बरसाना के मान मंदिर आ गए थे. संत विजय दास ने अपनी पोती दुर्गा को गुरुकुल में डाल दिया था. वह संत रमेश बाबा के संपर्क में आए और साधु संतों की मंडली में शामिल हो गए. यही पर वो बाबा विजयदास के नाम से मशहुर हुए . 2017 में वह धार्मिक मान्यता वाले आदिबद्री और कनकांचल इलाके में खनन को रोकने के लिए शुरू हुए आंदोलन से जुड़ गए.
बाबा को डेढ़ साल पहले बनाया गया महंत
पसोपा गांव के पशुपति नाथ मंदिर का महंत बनाया गया. उनके पास मंदिर प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी थी. दिल्ली में पोस्टमार्टम के बाद दोपहर तक उनका पार्थिव शरीर बरसाना लाया जाएगा. निधन की खबर मिलते ही बरसाना में शोक की लहर फैल गई, और साधु-संत बरसाना पहुंचने लगे हैं.
वहीं संत समाज की एक बैठक में बाबा विजय दास का अंतिम संस्कार बरसाना में करने का फैसला किया गया. क्योंकि वह कई वर्षों से बरसाना के मान मंदिर में रहे थे. बाबा विजय दास के करीबी संत राधाकृष्ण शास्त्री ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार बरसाना में मान मंदिर के पास ही होगा.
नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रात 3 बजे के करीब हुआ निधन
बाबा विजय दास का नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रात 3 बजे के करीब निधन हो गया. 20 जुलाई को बाबा ने खुद को ही आग लगा ली थी. उन्हें पहले जयपुर के एसएमएस लाया गया, इसके बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल शिफ्ट किया गया था.
मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा- अफवाह न फैलाएं
बाबा विजय दास उन्हीं साधुओं में से एक थे जिन्होंने बाबा हरि बोल के साथ आत्मदाह की चेतावनी दी थी. चेतावनी के बाद बाबा विजय दास ने वही किया जो कहा था. बाबा हरि बोल के आत्मदाह करने के मामले में मंत्री विश्वेंद्र सिंह से बात हुई तो यह स्थगित कर दिया गया. लेकिन इसके बाद दूसरे ही दिन बाबा नारायण दास टावर पर चढ़ गए. लेकिन प्रशासन ने इसे हल्के में लिया, जिसका नतीजा अब सामने है.