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रांची : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को मॉब लिंचिंग विधेयक पास हो गया है. बिल पास होने के बाद से समाज के अलग-अलग तबकों में जश्न का माहौल है. बिल पास होने के साथ ही झारखंड देश का तीसरा राज्य बन गया, जहां मॉब लिंचिंग बिल विधानसभा में पारित कर कानून बनाने के तरफ कदम बढ़ाया गया है. हालांकि, बिल को लेकर सियासी लपटें भी तेज हो रही है. बिल में कही गई कई बातों पर विपक्ष सवाल कर रहे हैं और संसोधन की मांग कर रहे हैं.
कब कहलाएगा मॉब लिंचिंग
- दो या दो से अधिक लोगों द्वारा हिंसा करने पर इसे मॉब लिंचिंग माना जायेगा.
- किसी का सामाजिक या व्यावसायिक बहिष्कार करना भी मॉब लिंचिंग कहलायेगा.
- जहां व्यक्ति स्थायी रूप से रहता हो, उसे बाहर करना या छोड़ने के लिए मजबूर करना मॉब लिंचिंग कहलाएगा.
- किसी को मूल अधिकारों से वंचित करना या वंचित करने की धमकी देना मॉब लिंचिंग कहलाएगा.
- धर्म, वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, आहार-व्यवहार, लैंगिक, राजनैतिक संबद्धता या नस्ल के आधार पर हिंसा या परेशान करना मॉब लिंचिंग कहलाएगा.
मॉब लिंचिंग में सजा का प्रावधान
- मॉब लिंचिंग के दौरान मौत होने पर दोषी को आजीवन कारावास और 5-25 लाख तक के जुर्माना की सजा होगी.
- मॉब लिंचिंग में किसी को परेशान करने पर 1-3 साल तक सजा या 1-3 लाख तक का जुर्माना.
- ज्यादा परेशान करने पर पीड़ित को 3-10 साल तक की सजा या 3-10 लाख तक जुर्माना.
- मॉब लिंचिंग में शिकार व्यक्ति के उपचार का खर्च प्राप्त जुर्माने की राशि से होगी.
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बिल को लेकर बोले CM
मॉब लिंचिंग के बिल को लेकर CM हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य में मॉब लिंचिंग की घटनाएं समय-समय पर होती रहती हैं. कई घटनाएं कुछ असाधरण तरीके से भी सामने आ जाती हैं. ऐसे में यह विधेयक लाया गया है ताकि राज्य में शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहे. उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व अपनी हरकतों से बाज नहीं आते इसलिए राज्य सरकार यह कानून ला रही है.