रांची: झारखंड सरकार के लाख प्रयास के बावजूद माइग्रेट मजदूरों का शोषण कम होता नही दिख रहा है. झारखंड से प्रवासी मजदूरों का दलालों के माध्यम से बाहर ले जाना और फिर वहां जाकर ठगा जाना, शोषण जारी है. नया मामला चाईबासा के 16 मजदूरों का आया है. चाईबासा से 16 मजदूरों के समुह को रमेश नामक मजदूर ठेकेदार 15 दिन पहले अच्छा काम दिलाने के नाम पर आंध्रप्रदेश लेकर गया. लेकिन, मजदूरों का कहना है कि रमेश ठेकेदार ने सभी मजदूरों को वहां पहुंचने पर इधर उधर कभी विशाखापत्तनम तो कभी कहीं लेकर घुमाता रहा और अंत में आईस आईलैंड टापू में मछली पालन के काम में लगा दिया.
आंध्र प्रदेश के स्थानीय समाजसेवी के मदद से मजदूर मुक्त कराए गए
समाजसेवी गौरीशंकर यादव आंध्र प्रदेश में राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं. उनकी ही टीम ने आंध्र प्रदेश पुलिस और श्रम विभाग के पदाधिकारियों को इसकी सूचना दी था. तब पुलिस और श्रम विभाग की टीम ने छापामारी कर झारखंड के सभी बंधक बनाए गए मजदूरों को मुक्त कराया. इधर झारखंड श्रम विभाग राज्य प्रवासी श्रमिक नियंत्रक कक्ष ने आंध्र प्रदेश के सभी संबंधित पदाधिकारियों से लगातार संपर्क बनाये रखा. इस घटना की सूचना श्रम अधीक्षक ने इस घटना की जानकारी राज्य प्रवासी श्रमिक नियंत्रण कक्ष कंट्रोल रुम को दिया था. कंट्रोल रुम ने आंध प्रदेश गौरीशंकर यादव नामक समाजसेवी से संपर्क किया और मदद के लिये आगे आया. समाजसेवी गौरीशंकर ने इस संबंध में कंट्रोल रूम से आंध्र प्रदेश राज्य के डीजीपी डीआईजी और अन्य पदाधिकारियो संग कांफ्रेस कर बात भी कराया. कंट्रोल रूम ने सारी जानकारी पुलिस अधिकारियों तथा श्रम अधीक्षक से बात की. अभी सभी मजदूर रिहा हो चुके हैं. मजदूरों को राज्य प्रवासी श्रमिक नियंत्रक कक्ष कंट्रोल रूम ने पन्द्रह दिनों का कुल मेहताना 48000/ रू भुगतान करा दिया है. सभी मजदूर विजयवाड़ा स्टेशन से 2 नवंबर को सुबह ट्रेन से वापस वापस आए. सभी सकुशल मजदूरों ने एक वीडियो बनाकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्य प्रवासी श्रमिक नियंत्रण कक्ष कंट्रोल रूम के कर्मियो को धन्यवाद दिया है.
जानवरों की तरह 24 घंटे लिया जाता था काम, विरोध करने पर दी जाती थी गालियां
मजदूरों ने बताया कि वहां टापू में हम सभों से 24 घंटा काम लिया जाने लगा.रात को भी उठाया जाता था और काम नहीं जाने पर मालिक धक्का मुक्की करता था. मां बहन की गालियां भी देता था. मजदूरों ने बताया कि उस टापू में साफ पानी भी पीने का नहीं मिलता था और सभों को गंदा पानी पीना पड़ता था.इन सभी कारणों से सभी मजदूरों ने ठेकेदार रमेश से कहा कि सभी वापस जाना चाहते हैं. इसपर मालिक ने सभी मजदूरों से गाली ग्लौज किया था और जितना काम हमने किया उसका पैसा भी नहीं दिया और बंधक बना कर रख लिया था.मजदूरों ने बताया कि मालिक ने सभी मजदूरों को कृष्णा नदी के पास बंधक बनाकर रख लिया था और दिन में एकबार ही खाना दिया जाता था.