न्यूज 11 भारत
रांची: राज्य भर में स्कूलों से ड्राप आउट बच्चों की गणना 11 जनवरी से शुरू होगी. इस कार्य के लिए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लगाया जा रहा है, जो 11 जनवरी से 18 जनवरी तक घर-घर जाकर ऐसे बच्चों का सर्वेक्षण करेंगे. आठ दिनों के इस सर्वेक्षण के जरिये ड्राप आउट बच्चों का रजिस्टर तैयार किया जाएगा. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने पूरी प्रक्रिया का कार्यक्रम घोषित कर दिया है.
तीन वर्ष से 18 वर्षा तक के विद्यार्थियों की बनेगी रिपोर्ट
परियोजना निदेशक किरण पासी ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा अधीक्षकों को आवश्यक निर्देश भी जारी किये हैं. घर-घर सर्वेक्षण कार्यक्रम में तीन वर्ष से 18 वर्ष तक की आयु वाले छात्र-छात्राओं की रिपोर्ट तैयार की जायेगी, जिसमें अनामांकित बच्चे अथवा स्कूलों से शिक्षा को छोड़ चुके बच्चों का नाम, पता, ठिकाना सूचिबद्ध किया जायेगा. इसको लेकर नियमित स्कूल जानेवाले बच्चों और ड्राप आउट बच्चों की संख्या का पता लगा कर रिपोर्ट तैयार की जायेगी.
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बीपीओ करेंगे स्कूलों का निरीक्षण
स्कूल, सर्किल (संकुल), प्रखंड और जिला स्तर पर यह सर्वेक्षण किया जायेगा. शिक्षा परियोजना के गाइडलाइन के मुताबिक जिस स्कूल की रिपोर्ट के अनुसार, तीन से लेकर 18 वर्ष का कोई बच्चा अनामांकित या ड्रॉप आउट नहीं है तो उस स्कूल के प्रधानाध्यापक अपने स्कूल को जीरो ड्रॉप आउट विद्यालय घोषित करेंगे.प्रधानाध्यापकों को अपने स्कूल के मुख्य द्वार पर या अगल-बगल में नीले रंग का बड़ा झंडा लगाना होगा. स्कूलों द्वारा दी जाने वाली स्टूडेंट रजिस्टर का वेरिफिकेशन भी प्रखंड स्तर पर किया जाएगा. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, प्रखंडों के बीपीओ पांच-पांच स्कूलों का इस दौरान भ्रमण करेंगे और स्कूलों का सैंपल चेकिंग भी करेंगे.
परिवारों का सर्वेक्षण नहीं होने और डाटा गलत होता है तो संबंधित शिक्षक पर कड़ी कार्रवाई करने की बातें भी कही गयी हैं. सर्वे के काम में शिक्षकों के साथ-साथ विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को भी जोड़ा गया है, जो सर्वेक्षण का हिस्सा बनेंगे.