बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल को दी थी स्ट्राइक वापस लेने की हिदायत
न्यूज11 भारत
रांचीः कोर्ट फीस में बेतहाशा बढ़ोत्तरी के खिलाफ की बीते कई दिनों से राज्य के तकरीबन 40 हज़ार अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्यो का बहिष्कार किया था. इस बीच वे अदालती कार्यों से दूर रहे. हालांकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के हस्तक्षेप के बाद अधिवक्ताओं ने अपने कार्य बहिष्कार को वापस ले लिया है.
स्टेट बार ऑफ काउंसिल को मिली हिदायत
बता दें, 6 जनवरी से राज्यभर के वकीलों ने अदालती कार्यों को नहीं करने का निर्णय लिया था जिसके कारण राज्य के सभी कोर्ट का काम प्रभावित हो गया था. राज्यभर के तकरीबन 40 हजार वकील अपनी मांगों को लेकर न्यायिक कार्यों से दूर हो गए थे. इस बीच बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक चिट्ठी जारी कर झारखंड स्टेट बार काउंसिल को स्ट्राइक वापस लेने की हिदायत दी. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने झारखंड स्टेट बार काउंसिल से हड़ताल की जानकारी का शो कॉज भी किया. साथ ही झारखंड स्टेट बार काउंसिल से सवाल पूछा कि हड़ताल से पहले झारखंड हाईकोर्ट को जानकारी क्यों नहीं दी गई.
बाद काउंसिल के सदस्य एक अधिवक्ता ने दिया इस्तीफा
वहीं, बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से जारी चिट्ठी के बाद झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने सर्कुलर जारी कर एब्सटेंशन वापस लेने की जानकारी दी. इधर, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के हस्तक्षेप के बाद झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने हड़ताल वापस लेने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया. जिसके बाद काउंसिल के सदस्य अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के दौरान अधिवक्ता ने कहा कि यह लड़ाई वकीलों के हित में थी लेकिन काउंसिल की हार हुई जो दुर्भाग्यपूर्ण है. इसका खामियाजा आने वाले पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा. अधिवक्ता ने कहा कि अब वे आने वाले किसी भी काउंसिल के चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे.
राज्यभर के निचली अदालतों में दिखा था असर
आपको बता दें, कोर्ट फीस में वृद्धि के खिलाफ जब झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने आंदोलन की घोषणा की. तो इसका असर राज्यभर के निचली अदालतों में देखने को मिला. लेकिन हाईकोर्ट में इसके ठीक विपरीत कई अधिवक्ता अदालती कार्यवाही में शामिल होते देखे गए. जिसपर झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने संज्ञान लेते हुए एसोसिएशन को पत्र लिखकर कार्यवाही में शामिल होने वाले अधिवक्ताओं के नाम पर पुष्टि की मांग की.
वहीं, स्टेट बार काउंसिल के पत्र को आधार बनाकर नोटिस पाने वाले वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने हाईकोर्ट में अवमाननावाद की याचिका दाखिल कर दी. जिसपर कल यानी 12 जनवरी हाईकोर्ट के न्यायाधीश आनंदा सेन की अदालत ने सुनवाई करते हुए काउंसिल के नोटिस को स्टे लगा दिया. वहीं आज (13 जनवरी) को अहले सुबह वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने अपनी याचिका वापस ली. दूसरी तरफ काउंसिल ने हड़ताल समाप्त करने का फैसला किया.