अमित सिंह, न्यूज 11 भारत
रांची : कोरोना काल के दौरान प्रदेशभर में प्रवासी मजदूरों से डोभा निर्माण कार्य जोर-शोर से कराया गया था. ताकि उन्हें रोजगार मिले और भविष्य में यह डोभा जल संचय के साथ-साथ सिचांई में भी काम आ सके, लेकिन अब इसमें वित्तीय अनियमितता की बात सामने आ रही है. धरातल पर कम, कागज पर ज्यादा डोभा निर्माण हुआ है. यानी डोभा निर्माण के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर करोड़ों राशि की निकासी कर ली गई है. इतना ही नहीं, कई जिलों में डोभा निर्माण मजदूरों से कराने के बजाए मशीन से कराया गया है. इसके भी साक्ष्य मिले हैं.
हजारीबाग के केरेडारी में जांच में मिल चुका है कि डोभा के निर्माण में मशीन का उपयोग किया गया है. जिसके बाद उप विकास आयुक्त ने अनियमिता करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज कराया. ऐसे कई मामले संज्ञान में आ रहे है. ग्रामीण विकास विभाग डोभा निर्माण योजना में हुई अनियमितता की जांच करा रहा है. हजारीबाग के उप विकास आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया है कि हजारीबाग के 16 प्रखंड के सभी बीडीओ को यह निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने क्षेत्र में जितने भी डोभा बने हैं, उसका स्थल जांच कर प्रमाण पत्र कार्यालय को सौंपे. ताकि वस्तुस्थिति की जानकारी हो सके. साथ ही उन्होंने इस बाबत जिला स्तरीय एक टीम का भी गठन किया है, जो डोभा निर्माण स्थल का जाकर जांच करेगी.
680 करोड़ लागत की 45510 योजनाओं का नहीं हो सकता निर्माण
राज्य में दो साल यानी 2020-21 व 2021-22 में डोभा निर्माण की 63415 योजनाओं की स्वीकृति दी गई थी. इसमें से अबतक सिर्फ 17905 डोभा का ही निर्माण पूरा हो पाया है. यानी पूरे राज्य में स्वीकृत योजनाओं के मुकाबले सिर्फ 28 प्रतिशत डोभा का काम ही पूरा हो सका है. अधूरी 45510 योजनाओं की लागत 680 करोड़ रुपए से ज्यादा हैं. राज्य के 11 जिले ऐसे हैं, जहां सिर्फ 17 प्रतिशत डोभा का निर्माण कार्य ही पूरा हो सकता है. राजधानी रांची में भी सिर्फ 30 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है. एक डोभा की औसत लागत 1.50 लाख रुपए तक है. दुमका और साहिबगंज की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान पूरे राज्य मं डोभा निर्माण की 39,064 व 2021-22 में 6,446 योजनाएं स्वीकृत की. वित्तीय वर्ष 2021-22 समाप्त होने में अब तकरीबन ढाई माह का समय बचा हुआ है.
28 प्रतिशत योजनाएं ही हो सकी पूरी, साहिबगंज की स्थिति सबसे ज्यादा खबरा
प्रदेश में औसतन 28 प्रतिशत योजनाएं ही पूरी हुई हैं. दुमका और साहिबगंज की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. दुमका में सिर्फ 17 प्रतिशत और साहिबगंज में 19 प्रतिशत डोभा का निर्माण कार्य पूरा हो सकता है. गिरिडीह जिला में दो साल में सबसे ज्यादा कुल 7,391 योजनाएं ही पूरी स्वीकृत की गई थी. हालांकि सिर्फ 2681 का ही निर्माण कार्य पूरा हो सकता है, जो स्वीकृत योजनाओं के मुकाबले सिर्फ 36 प्रतिशत हैं. झारखंड सरकार पिछले दो साल से एक अभियान के तहत डोभा का निर्माण करावा रही है. बड़ी संख्या में डोभा बनने से राज्य के ग्रामीण इलाकों में खेतीबाड़ी में लाभ हुआ है. आसपास के कुओं के जल स्तर पर असर पड़ा है. जिससे सिंचाई का काम होता है, लेकिन रांची के ईटकी के कई क्षेत्रों में डोभा नहीं बने हैं. लोग डोभा बनाने की मांग अभी भी कर रहे हैं.
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प्रदेशभर में जिलेवार डोभा निर्माण योजना की स्थिति
जिला |
स्वीकृत |
पूर्ण |
उपलब्धि |
रामगढ़ |
875 |
396 |
45% |
कोडरमा |
1637 |
663 |
41% |
सिमडेगा |
189 |
75 |
40% |
बोकारो |
4429 |
1640 |
37% |
गिरिडीह |
7391 |
2681 |
36% |
गुमला |
1324 |
479 |
36% |
लोहरदगा |
560 |
190 |
34% |
देवघर |
3912 |
1201 |
31% |
रांची |
2555 |
776 |
30% |
पलामू |
4830 |
1456 |
30% |
प.सिंहभूम |
1426 |
422 |
30% |
धनबाद |
2625 |
753 |
29% |
हजारीबाग |
4116 |
1063 |
26% |
सरायकेला |
2661 |
661 |
25% |
जामताड़ा |
3720 |
900 |
24% |
गढ़वा |
5487 |
1318 |
24% |
लातेहार |
2696 |
637 |
24% |
पाकुड़ |
1926 |
440 |
23% |
गोड्डा |
1415 |
305 |
22% |
पू.सिंहभूम |
1347 |
284 |
21% |
चतरा |
3523 |
729 |
21% |
खूंटी |
404 |
104 |
21% |
साहिबगंज |
966 |
189 |
19% |
दुमका |
3301 |
546 |
17% |