जेपी के पिता टेकलाल महतो हजारीबाग से चार बार लड़ चुके हैं चुनाव, रहे तीसरे स्थान पर
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: लोकसभा चुनाव के लिए टिकट आवंटन में देरी कर रही कांग्रेस की ओर से अब धुंध साफ होने लगी है. मांडू विधायक जेपी पटेल के कांग्रेस में शामिल होने के बाद हजारीबाग के वोटरों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस की ओर से वोटरों को साधने की लिहाज से अब यह स्पष्ट हो चला है कि विगत चार दशकों से हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने को महरूम कांग्रेस खुद को पुर्नस्थापित करने के प्रयास में है. वह बताना जरूरी होगा कि 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी गोपाल साहू को 4 लाख 79 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त हुए थे. तब भाजपा के प्रत्याशी रहे जयंत सिन्हा को 7 लाख 39 हजार 798 मत मिले, वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी रहे गोपाल साहू को 2 लाख 49 हजार 250 मत ही मिले. इसके पूर्व झारखंड गठन के बाद 2009 में कांग्रेस के टिकट से लड़ रहे सौरभ नारायण सिंह को 40 हजार 164 मतों से हार मिली थी. इस चुनाव में यशवंत सिन्हा को 2 लाख 19 हजार 810 मिले थे. वहीं, सौरभ को 1 लाख 79 हजार 646 मत. 2014 के चुनाव का माजरा कुछ ऐसा ही था, जब यशवंत सिन्हा के पुत्र और निवर्त्तमान सांसद जयंत सिन्हा ने कांग्रेस के सौरभ नारावण सिंह को 1 लाख 59 हजार 128 मतों से हराया.
हजारीबाग से कांग्रेस को तीन बार ही मिला है प्रतिनिधित्व का मौका
आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव के समय हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र ईस्ट और वेस्ट में विभाजित था. 1952 में हुए चुनाव में तब नागेश्वर प्रसाद सिन्हा कांग्रेस से विजयी हुए. बाद के कालखंडों में हुए चुनाव में 1980 तक के चुनाव में रामगढ़ राज का ही दबदबा रहा. हालांकि, इस बीच 1971 में कांग्रेस के दामोदर पांडेय ने रामगढ़ राजपरिवार की ललिता राज लक्ष्मी को हराया और कांग्रेस को लेटरल इंट्री दी. राज परिवार के कुंवर बसंत नारायन सिंह से 1977 /1980 में हार के बाद 1984 में पुनः दामोदर पांडे सांसद बने। तब से गोपाल साहू को 2 लाख 49 हजार 250 मत ही मिले.
इसके पूर्व झारखंड गठन के बाद 2009 में कांग्रेस के टिकट से लड़ रहे सौरभ नारायण सिंह को 40 हजार 164 मतों से हार मिली थी. इस चुनाव में यशवंत सिन्हा को 2 लाख 19 हजार 810 मिले थे, वहीं सौरभ को 1 लाख 79 हजार 646 मत मिले थे. 2014 के चुनाव का माजरा कुछ ऐसा ही था, जब यशवंत सिन्हा के पुत्र और निवर्त्तमान सांसद जयंत सिन्हा ने कांग्रेस के सौरभ नारावण सिंह को 1 लाख 59 हजार 128 मतों से हराया था.
हजारीबाग से कांग्रेस को तीन बार ही मिला है प्रतिनिधित्व का मौका
आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव के समय हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र ईस्ट और वेस्ट में विभाजित था. 1952 में हुए चुनाव में तब नागेश्वर प्रसाद सिन्हा कांग्रेस से विजयी हुए. बाद के कालखंडों में हुए चुनाव में 1980 तक के चुनाव में रामगढ़ राज का ही दबदबा रहा. हालांकि, इस बीच 1971 में कांग्रेस के दामोदर पांडेय ने रामगढ़ राजपरिवार की ललिता राज लक्ष्मी को हराया और कांग्रेस को लेटरल इंट्री दी. राज परिवार के कुंवर बसंत नारायन सिंग से 1977 /1980 में हार के बाद 1984 में पुनः दामोदर पांडे सांसद बने। तब से अब तक कांग्रेस को हजारीबाग से प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला है.
हजारीबाग से भुवनेश्वर प्रसाद मेहता दो बार रहे सांसद
1980 से जद्दोजहद कर रहे सीपीआई के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता 1991 भाजपा के यदुनाथ पांडेय को हराकर पहली बार सांसद बने. 80 में तीसरे और 84, 89 में वे दूसरे स्थान में रहे थे. 2004 में दूसरी बार उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को 1 लाख 5 हजार 329 मतों से हराया और सांसद बने.
जेपी के पिता टेकलाल महतो चार बार लड़े, रहे तीसरे स्थान पर
मांडू विधायक जेपी पटेल के पिता टेकलाल महतो हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से चार बार चुनाव लड़ चुके हैं और चारों बार वे तीसरे स्थान पर रहे. 1991, 96, 98, 99 में उन्होंने चुनाव लड़ा था. हालांकि 2004 में उन्हें गिरीडीह लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व का मौका मिला.