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पृथ्वी दिवस पर पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन: मस्याएं एवं समाधान विषयक वैचारिक परिचर्चा एवं संकल्प कार्यक्रम संपन्न

संत कोलंबा महाविद्यालय के मुख्य छात्रावास में किया गया आयोजन
पृथ्वी दिवस पर पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन: मस्याएं एवं समाधान विषयक वैचारिक परिचर्चा एवं  संकल्प कार्यक्रम संपन्न
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत 

हजारीबाग/डेस्क:- कोलंबा महाविद्यालय के मुख्य छात्रावास के प्रांगण में पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन: समस्या एवं समाधान  विषयक एक दिवसीय वैचारिक एवं संकल्प कार्यक्रम संपन्न हो गया. कार्यक्रम की शुरुआत धरती माता की जय, पृथ्वी माता की जय, एवं भारत माता की जय नारों के साथ किया गया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि  विनोबा भावे विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम  समन्वयक डॉ जॉनी रुफीना तिर्की, विशिष्ट हजारीबाग के एनएसएस के पूर्व जिला नोडल पदाधिकारी एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के झारखंड प्रांत के मीडिया प्रभारी भोला नाथ सिंह एवं मुख्य वक्ता के रूप में  वसुधा कल्याण संस्था की संस्थापिका सुश्री अंजलि नीरज उपस्थित थे. कार्यक्रम की शुरुआत में छात्रावास के सह प्रीफेक्ट दीपक कुमार महतो ने स्वागत गीत की प्रस्तुति की. इस अवसर पर  विद्यार्थियों ने अतिथियों का स्वागत पौधा देकर किया. स्वागत संबोधन, अतिथि परिचय एवं विषय प्रवेश छात्रावास के अधीक्षक डॉ राजकुमार चौबे ने किया. छात्रावास अधीक्षक डाॅ चौबे ने अथर्ववेद के एक प्रसिद्ध श्लोक तासु नो धेह‌्यमि न पवस्व माता भूमिः पुत्रोह्म पृथिव्याः अर्थात पृथ्वी मेरी माता है, मैं पृथ्वी का पुत्र हूं का उल्लेख करते हुए पर्यावरण संरक्षण के महायज्ञ में जन-जन की सहभागिता का अति आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि  जरूरी है कि बच्चों से लेकर बूढ़ों एवं महिलाओं तक, हर एक व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में पर्यावरण प्रदूषण की भयावता उसके गंभीर परिणाम तथा पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान का सुस्पष्ट चित्र अंकित कराया जाए और यह कार्य युवाओं से ही संकल्पित प्रयास से हो सकता है. उन्होंने बहुत ही विस्तार से पर्यावरण संकट पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के संबंध में विचार रखे.  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ जॉनी रुफीना तिर्की ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने पृथ्वी दिवस की शुरूआत की थी. आज  पृथ्वी दिवस  पूरे विश्व में अति उत्साह से मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष का इस दिवस का ध्येय मंत्र ग्रह एवं प्लास्टिक है, जिसे सबसे पहले युवाओं को स्वयं जानना होगा, फिर अपने घर परिवार से होते हुए पूरे समाज को इसके प्रति जागृत करने का संकल्पित प्रयास करना होगा. उन्होंने कहा कि हमें पौधारोपण एवं उनके देखभाल, अपने-अपने घरों को प्लास्टिक उपयोग से मुक्त करना एवं स्वच्छता को अपना रूची बनाना होगा एवं इसे अपने संस्कारों में उतारना होगा. उन्होंने कहा कि हम बुराई को आसानी से आकर्षित करतें हैं लेकिन अच्छाई को अपने अंदर आत्मसात करने  के लिए  बहुत प्रयास करना पड़ता है.  उन्होंने कहा कि  प्राकृतिक पूजा को आदिवासी समाज में आज भी पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की मुख्य बातें उनकी दिनचर्या एवं  त्योहारों में देखने को मिलता है जो पूरे समाज के लिए अनुकरणीय है. विशिष्ट अतिथि पूर्व जिला नोडल पदाधिकारी भोला नाथ सिंह ने ब्रह्मांड की सृजन का जिक्र करते हुए छात्रों से कहा कि पृथ्वी के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रकृति के साथ छेडछाड नहीं करनी होगी अन्यथा इसके दुष्परिणाम जो फिलवक्त हमलोग झेल रहें हैं जो आने वाले दिनों में अत्यंत ही भयावह एवं दूखदायी होगा. पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें जागरूक रहना एवं लोगों को जागरूक करना होगा.उन्होंने कहा कि हमने हमेशा प्रकृति का दोहन एवं शोषण ही किया है, जिसके परिणाम स्वरुप विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं का सामना, तापमान में वृद्धि, प्रदूषण, विभिन्न प्रकार के महामारी, रहस्यमई बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है.  उन्होंने ऋतु परिवर्तन के प्रभावित होने के संदर्भ में भी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया. उन्होंने कहा कि आज समय की मांग है कि हम उपभोक्तावादी, भौतिकवादी, स्वार्थ परख, प्रकृति को अंकुश लगाते हुए भारतीय आध्यात्मिक परंपरा को जानने और उसे अपने व्यवहारिक जीवन में आत्मसात करनी होगी. हमें जीवन शैली पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्पित कर नैतिकता का पालन करना होगा. उन्होंने छात्रों को पर्यावरण संतुलन के संदर्भ में आवश्यक वैज्ञानिक जानकारियां दी. परिचर्चा में  मुख्य वक्ता के रूप में  सुश्री अंजलि नीरज ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि सबसे बड़ा प्रदूषण मनुष्य में मानसिक प्रदूषण है, जब तक यह दूर नहीं होता तब तक अन्य सभी प्रदूषण को दूर करना मुश्किल है. उन्होंने पृथ्वी संरक्षण  के संदर्भ में विस्तार से विचार रखते हुए अपनी संस्था वसुधा कल्याण के  चलाए जा रहे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण संवर्धन और स्वच्छता के लिए कार्य कर रहे लोगों को कुछ लोग मूर्ख  समझते हैं और अपने को शांति का प्रतिक होने का दावा करते हैं.

 

प्रकृति के संदर्भ में प्रेरक गीत भी विद्यार्थियों ने प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का संचालन छात्रावास के प्रीफेक्ट विशाल कुमार मिश्रा एवं धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ विद्यार्थी अविनाश तिवारी ने किया. कार्यक्रम के अंत में अतिथियों एवं उपस्थित शिक्षकों ने पौधारोपण भी किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से बबलु हंसदा ,सालखू हेंब्रम, कुंदन पटेल, अरविंद मुंडा, सूरज कुमार, रितेश यादव, अंशु कुमार, देवनाथ मरांडी, सनी कुमार समेत कई विद्यार्थियों ने सक्रिय भूमिका निभाई.
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