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जमशेदपुर: मजदूरों के शहर जमशेदपुर में बेरोजगारी कोई नई बात नहीं है. हर दिन एक नई कंपनी अस्तित्व में आती है और रातोंरात कंपनी अपना बोरिया- बिस्तर समेटकर कंपनी गेट के बाहर बंदी का नोटिस चिपका कर रफूचक्कर हो जाती है. नतीजा मजदूरों को भुगतना पड़ता है. फिर शुरू हो जाता है, सेटलमेंट और सरकारी दफ्तरों की दौड़. ताजा मामला आजादनगर स्थित ए एस के केमिकल्स का है. कल तक कंपनी बिल्कुल चलायमान थी. मजदूर काफी खुशहाल थे. ओवरटाइम कर रहे थे. रातोंरात आखिर कंपनी में ऐसा क्या हुआ, कि आज सुबह जब मजदूर यहां काम पर पहुंचे, तो गेट पर लगे नोटिस बोर्ड में लिखा था कि यहां काम बंद हो चुका है. सभी मजदूरों को सरकारी प्रावधानों के तहत सेटलमेंट की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.
उधर मजदूरों का कहना है कि वह वर्षों से इस कंपनी में अपनी सेवा दे रहे हैं 6 महीना पूर्व कंपनी में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. महीनों ओवरटाइम कर रहे थे मगर कभी ऐसा नहीं लगा कि कंपनी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रही है अब सही कौन है यह तो मैनेजमेंट समाज ही जानेगा लेकिन कुल मिलाकर भुगतना तो मजदूरों को ही पड़ेगा.
वही इस संबंध में प्रबंधन की ओर से बताया गया कि कंपनी घाटे में चल रही थी. इसलिए मैनेजमेंट ने इसे बंद करने का फैसला लिया. रातोरात 65 मजदूर बेरोजगार हो गए. सभी मजदूरों को सरकारी प्रावधानों के तहत सेटलमेंट देने की तैयारी की जा रही है.
जमशेदपुर में कई ऐसी बड़ी कंपनियां बंद हो गई और वह दोबारा चालू नहीं हो पाई. केबल कंपनी की बात करें या एग्रीकल्चर फैक्ट्री की बात करें. अब यह देखना है कि मैनेजमेंट और फैक्ट्री स्पेक्टर इन मजदूरों के हित में क्या निर्णय लेते हैं.