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रांची : जांच के लिए मिट्टी नमूना कैसे लिया जाता है? फसलों में लगने वाली बीमारी से कैसे बचाव किया जा सकता है? ये पढ़ाई कोई स्टूडेंट्स नहीं….कृषि उपादान विक्रेता कर रहे हैं. दरअसल किसानों को सही जानकारी मिल सके इसके लिए ATMA रांची और मैनेज हैदराबाद के द्वारा संयुक्त रूप से संचालित कृषि उपादान विक्रेता के लिए देसी पाठ्यक्रम चलाई जा रही है. देसी पाठ्यक्रम के तहत कृषि उपादान विक्रेताओं का कुल 48 सप्ताह का पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है. प्रत्येक सप्ताह कृषि विशेषज्ञों द्वारा क्लास लिया जाता है.
रांची जिले के विक्रेताओं का अब तक 22 क्लास लिया जा चुका है. रविवार को जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने अबतक पढ़ाई की गई विषय से संबंधित जानकारी उपस्थित विक्रेताओं से ली. विषय से सम्बंधित प्रश्न जैसे मिट्टी जांच हेतु मिट्टी नमूना कैसे लिया जाता है, फसलों में लगने वाली बीमारी व कीट, खाद और बीज से संबंधित प्रश्न इत्यादि पूछे गए, जिसका जवाब विक्रेताओं ने दिया. विक्रेताओं से टपक सिंचाई से संबंधित सवाल भी पूछे गए. साथ ही उन्हें बताया कि कैसे टपक सिंचाई बिरसा किसानों के लिए लाभदायक है.
किसानों को लाभ पहुंचाना है पाठ्यक्रम का लक्ष्य
विक्रेताओं के लिए संचालित पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है, किसानों को लाभ पहुंचाना. एक्सपर्ट के अनुसार वर्तमान में करीब 70 प्रतिशत किसान कृषि उपादन की खरीदारी विक्रेताओं की सलाह पर ही करते हैं. कृषि उपादान विक्रेता जानकारी के आभाव में किसानों को समुचित जानकारी नहीं दे पाते हैं. ऐसे में किसानों को बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी के प्रयोग में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, इसलिए विक्रेताओं के लिए संचालित देसी पाठ्यक्रम का उद्देश्य विक्रेताओं को प्रशिक्षित करते हुए किसानो को बीज, उर्वरक एवं कीटनाशी का उपयोग संतुलित रूप से कराना है. कार्यक्रम में कृषि पदाधिकारी ने विशेषज्ञ के द्वारा बताए जा रहे नवीनतम जानकारी को बिरसा किसानों तक पहुंचाने का निर्देश विक्रेताओं को दिया.