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CJI एनवी रमन्ना ने कहा Judicial Liberty को अनावश्यक रूप से उछालने का काम बंद करें सोशल मीडिया

झारखंड के नगर उंटारी और चांडिल प्रमंडलीय न्यायालयों का ऑनलाइन किया उद्घाटन
CJI एनवी रमन्ना ने कहा Judicial Liberty को अनावश्यक रूप से उछालने का काम बंद करें सोशल मीडिया

न्यूज11 भारत


रांचीः भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने कहा है कि सोशल मीडिया और इलेक्ट्रोनिक मीडिया जीरो एकाउंटेबिलिटी के तहत काम कर रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया अदालतों के आदेश को तोड़-मरोड़कर देश की न्यायपालिका की छवि गलत तरीके से पेश करते हैं. इससे देशभर के न्यायाधीशों के आदेश पर कई सवाल खड़े होने लगते हैं. रांची के ज्यूडिशियल अकादमी में जस्टिस एसबी सिन्हा मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया खास कर सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संयम रखें. सोशल मीडिया को ज्यूडिसीयरी स्वतंत्रता पर भी ध्यान देना होगा. हम लोग एक गाइडिंग फैक्टर के रूप में कोई मामले को नहीं सुलझा सकते. मीडिया ऐसे मामलों को भी उछालती है. यह हानिकारक (डेट्रीमेंटल) होता है. हमलोगों को समाज में लोकतंत्र की भावनाओं को देखते हुए काम करना पड़ता है. भारत के मुख्य न्यायाधीश ने प्रमंडलीय न्यायालय चांडिल और नगर उंटारी का उद्घाटन किया. उन्होंने प्रोजेक्ट शिशू के तहत छात्रवृति का वितरण भी किया.


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'विजयवाड़ा से शुरू की थी अपने कानूनी कैरियर की शुरुआत'

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमलोग एक क्राइसिस सोसाइटी में रह रहे हैं. न्याय के लिए हमें भटकना पड़ रहा है. न्यायिक अधिकारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. रोल ऑफ जज भी बड़ी बात है. रोल ऑफ जज की भूमिका काफी बदल रही है. समाज से न्यायपालिका को काफी उम्मीद है. काफी उम्मीदें हैं. सुलभ न्याय सबकी बराबरी, प्रैक्टिस ऑफ लॉ के तहत सबकी भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी है. सामाजिक आर्थिक कंडीशन पर सब कुछ निर्भर है. एक सपोर्ट सिस्टम जरूरी है. पिछड़े इलाकों में न्याय जरूरी है. 70 दशक में न्यायाधीशों की नियुक्ति में काफी बदलाव हुआ है. हमारी पिछली भूमिका भी बिल्कुल अलग है. हम जब पढ़ाई कर रहे थे, तब सातवीं में अंग्रेजी का विषय पढ़ा. मैजिस्ट्रेट कोर्ट विजयवाड़ा में प्रैक्टिस शुरू की. हैदराबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की. सुप्रीम कोर्ट में कई बार याचिका फाइल की. एडवोकेट जनरल भी बना. राजनीति में आना चाहता था. मेरी यात्रा काफी प्राकृतिक है. मैंने अपना कैरियर बनाया. आर्टिकल ऑफ जस्टिस डिस्प्यूट्स में काफी भाग ली. सामाजिक दायित्वों का निर्वाह्न किया. समाज और न्यायपालिका में काफी बदलाव हो रहे हैं. सेक्शन ऑफ सोसाइटी में जज का चयन करना काफी कठिन हो रहा है. पर्सेप्शन अलग बन गया है. सक्सेलफुल लीगल कैरियर की जरूरत है. इसके लिए हमें आगे बढ़ना है. एक जज को हमेशा दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए. समाज में हो रहे बदलाव पर ध्यान देना चाहिए. जजों का दायित्व अधिक है. जिस तरह कोर्ट में मामले लंबित हैं, ऐसे में याचिकाकर्ता को न्याय की हमेशा आस लगी रहती है. हमारी मानसिक और भौतिक स्ट्रेंग्थ से हमें न्याय देना पड़ता है. एपेक्स कोर्ट के जज को भी त्वरित न्याय की आशा रहती है. यह बड़ा भारी दायित्व है हमारे ऊपर, जज के प्रति आम लोगों के प्रति गलत धारणा बनी हुई है. लोग मानते हैं कि जज सिर्फ 10 से चार तक काम करते हैं. काफी विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं. हमने हैदराबाद में अपने कार्यकाल में देखा है कि कैसे लोगों की आकाक्षाएं प्रभावित होती है. हम वीकेंड में भी काम करते रहते थे. हम लोग अपनी पार्टियां भी नहीं मना पाते थे. जिस तरह  कोर्ट में मामले लंबित हैं, उनका निबटारा कोर्ट का प्रारंभिक दायित्व है. हमलोग हमेशा पेपर बुक्स पढ़ते हैं, न्याय की पूर्व के दस्तावेज भी ढूंढ़ते हैं. लंबित जजमेंट को देखते हैं. कभी कभी हम आवश्यक पारिवारिक इंगेजमेंट को भी मिस करते हैं. 


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'हमलोंगों पर कई तरह के आरोप लगते रहते हैं'

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमलोगों पर यह आरोप लगता है कि काफी मामले न्यायालय में लंबित हैं. हमें आधारभूत संरचना विकसित करनी होगी, ताकि जज फूल पोटेंशियल में काम कर सकते हैं. सामाजिक दायित्वों से जज भाग नहीं सकते हैं. फ्रैजाइल ज्यूडिशियरी के लिए हमारे पास आधारभूत संरचना नहीं है. ज्यूडिशियरी को भविष्य की चुनौतियों के लिए लंबी अवधि की योजना बनाना होगा. जज और ज्यूडिशियरी को एक यूनिफार्म सिस्टम विकसित करना होगा. इसमें नौकरशाही को भी आगे आना होगा. मल्टी डिसिप्लीनरी एक्शन मोड में काम करना होगा. सस्टेनेबल मेथड ऑफ जस्टिस की अवधारना लागू करना होगा. भविष्य की चुनौतियों को भी देखना होगा. न्यायपालिका के भरोसे यह अकेले संभव नहीं है प्रिंट मीडिया के पास डिग्री ऑफ एकाउंटेबिलिटी है. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पास जीरो एकाउंटेबिलिटी है. मीडिया के एकाउंटेबिलिटी पर कोई रेग्यूलेशन नहीं है. मीडिया पर सरकार ही रोक लगाती है. ज्यीडिशियरी की लिबर्टी को अनावश्यक रूप से उछालने का काम सोशल मीडिया बंद करें. सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपना व्यायस का उपयोग लोगों को शिक्षित करने, उन्हें दिशा दिखाने में काम करें. हमें अपने ज्यूडिशियरी को स्ट्रेंथेन करना है. एक जज जो दशकों से कई हार्ड क्रीमिनल के खिलाफ आदेश दिये. पर सेवानिवृति के बाद उन्हें उसी समाज में आना पड़ता है, जो वहां रहते हैं. रिटायरमेंट के बाद उन्हें उन कनविक्टेड लोगों से जुझना पड़ता है, जिनके खिलाफ एक जज ने कई आदेश पारित किये. जज भी इसी समाज का हिस्सा हैं. 


कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत झारखंड के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन ने किया. मौके पर झारखंड हाईकोर्ट के सभी न्यायाधीश शामिल थे. इससे पहले कार्यक्रम स्थल तक आने के पूर्व सीजेआइ को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस अवसर पर रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा, वरीय पुलिस अधीक्षक किशोर कौशल, एसडीओ समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे.

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