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ईसाई समाज को एकजुट होकर नीति निर्माण में भागीदारी देनी होगी- मंत्री जॉन बारला

अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री
ईसाई समाज को एकजुट होकर नीति निर्माण में भागीदारी देनी होगी- मंत्री जॉन बारला

रांची: “शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करना ईसाई समुदाय की ताकत है किन्तु इनसे सम्बंधित नीतियों के निर्माण में इस समुदाय की अनुपस्तिथि चिंतनीय है. आज समुदाय को एकजुटता के साथ खड़े होना होगा और इन सम्बंधित नीतियों के निर्माण में अपनी भागीदारी देनी होंगी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस कार्य हेतु सम्पूर्ण देश भ्रमण के पश्चात ऐसी टीम बनाने का आदेश दिया है जिसका प्रतिनिधित्व बिशप, पादरी और ईसाई समाज के अन्य गणमान्य व्यक्ति करेंगे,” ये बातें अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री जॉन बारला ने शुक्रवार को रांची के आर्चडायसीस और जेवियर समाज सेवा संस्थान(एक्सआईएसएस), रांची द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक संवाद सत्र में भाग लेते हुए कहीं.


सत्र का आयोजन सचिवालय, सीबीसीआई जनजातीय मामलों के कार्यालय, नई दिल्ली के फ़ा निकोलस बारला, सचिव द्वारा एक्सआईएसएस रांची के फ़ा. माईकल वैन डेन बोगर्ट एसजे ऑडिटोरियम में ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों के लिए किया गया था.


त्रिपुरा में शहीद अल्बर्ट एक्का पार्क का  किया जा रहा निर्माण


मंत्री ने सत्र के दौरान उठाई गयीं सभी बातों और परेशानियों को प्रधानमंत्री, सम्बंधित मंत्रालयों के केन्द्रीय मंत्रियों एवं राज्य के मुख्यमंत्री से भी साझा करने का आश्वासन दिया. एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया की त्रिपुरा में शहीद अल्बर्ट एक्का पार्क का निर्माण किया जा रहा है और रांची रेलवे स्टेशन को शहीद अल्बर्ट एक्का के नाम पर रखने का प्रस्ताव वे सम्बंधित मंत्रालय के पास अवश्य भेजेंगे.


नई शिक्षा नीति में अल्पसंख्यक समाज को किया जा रहा नज़रअंदाज


झारखंड में ईसाई अल्पसंख्यक की चिंताओं को उठाते हुए, रांची आर्चडीओसीज के आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो, एसजे ने कहा, “आज आदिवासी और कमजोर वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए विशेष योजनाओं की आवश्यकता है अन्यथा इन प्रतिकूल शैक्षणिक नियमों से हो रही दिक्कतों के कारण कहीं वे शिक्षा से ही वंचित ना रह जाएं.”


रांची के सहायक बिशप, थियोडोर मस्कारेनहास, एसएफएक्स ने सत्र में ईसाई समाज में व्याप्त चिंताओं पर प्रकाश डाला और कहा,“आज सुरक्षा और समानता का आश्वासन देकर ईसाई समुदाय में व्याप्त भय को दूर करना होगा. उन्होंने यह भी जोर दिया कि ईसाई समुदाय पर अनावश्यक आयकर जांच से बचा जाए और धर्मांतरण के आरोपों के परिणामस्वरूप कोई अनावश्यक उत्पीड़न इस समाज का न हो. इसके अलावा नई शिक्षा नीति 2020 में भी अल्पसंख्यक समाज को नज़रअंदाज किया गया है. इसलिए आप प्रधानमंत्री एवं जिम्मेदार मंत्रियों तक हमारी बातों को पहुंचाए, आपसे यह आग्रह है.” 


इससे पहले कार्यक्रम उद्देश्य को साझा करते हुए, एक्सआईएसएस के निदेशक, डॉ जोसेफ मरियानुस कुजुर एसजे ने कहा,"ईसाई समुदाय की हैसियत से हम अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल हैं, यह हमारी पहचान है और इसके अंतर्गत हमें धारा 29-30 में संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं. ये प्रावधान हमारी सुरक्षा,खुशहाली, स्वतंत्रता एवं विकास सुनिश्चित करते हैं. फिर चाहे वे अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता, विचारों की अभिव्यक्ति का हो, या शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में समानता का हो. किन्तु इतने प्रावधानों के बावजूद आज भी हम असुरक्षा, भेदभाव, शंका एवं असमानता के भावों का अनुभव क्यों कर रहे है, यह चिंतन का विषय है.” 


खूंटी धर्मप्रांत के बिशप हिज लॉर्डशिप विनय कंदुलना ने कार्यक्रम में अपने विचार साझा करते हुए कहा, “देश में हमारी संख्या 2.5 प्रतिशत है, जिसमें झारखण्ड में हम 4 प्रतिशत है और हम 15 प्रतिशत  आबादी को शिक्षित करते है किन्तु आज हम परेशानी के दौर से गुज़र रहे हैं. हम पर मनगढ़ंत आरोप लगाये जाते है, नए नियम थोपें जाते है, स्कूल एवं कॉलेज को मान्यता नहीं दी जाती है.”


सत्र के दौरान, हिज लॉर्डशिप टेलीस्फोर बिलुंग, एसबीडी, अपोस्टोलिक प्रशासक, जमशेदपुर धर्मप्रांत ने कहा, “राज्य में सरकारी योजनाओं का लाभ गांव तक नहीं पहुँच रहा है, सरकारी दफ्तरों में उन्हें गुमराह किया जाता है, इसपर काम करने की आवश्यकता है.”


 

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