न्यूज11 भारत
रांची: वर्तमान में बाल मजदूरी एक बहुत बड़ी समस्या है. अंतरर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ और यूनिसेफ के अनुसार, साल 2016 में भारत में 9.40 करोड़ बाल मजदूर थे जो वर्ष 2022 तक बढ़कर 16 करोड़ तक पहुंच गए है. दरअसल, बाल मजदूरी का मुख्य कारण गरीबी है. गरीबी रेखा से नीचे किसी भी तरह से गुजर-बसर कर रहे हैं. वे अपने जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने बच्चों को भी काम पर लगाते हैं.
संस्थाओं का मानना है कि पुलिस द्वारा सख्ती से कार्रवाई नहीं किया जाना भी बाल मजदूरी उन्मूलन में बाधक है. दरअसल, पुलिस बाल मजदूरों को रेस्क्यू करती है और माता-पिता को सौंप देती है. माता-पिता दोबारा उन्हें काम पर लगा देते हैं. उनके पुनर्वास, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता है.
बता दें, बाल मजदूरी की रोकथाम के लिए बड़ा कदम उठाया जा रहा है. 1 से 30 जून तक चाइल्ड लेबर को लेकर रेस्क्यू ड्राइव चलेगा. यह अभियान राष्टीय बाल अधिकार आयोग की ओर से रेलवे एरिया में चलेगा.आयोग के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने बताया कि सीडबल्यूसी के समक्ष जो स्टेटमेंट होगा उसी के आधार पर पुलिस प्राथमिकी दर्ज करेगी. अलग से पुलिस को बयान लेने की जरूरत नहीं है. सीडब्ल्यूसी के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. इस संबध में एनसीपीसीआर डीजीपी को पत्र लिखेगा. साथ ही आम लोग भी चाइल्ड लेबर का रेस्क्यू कर सकता है किसी की परमिशन की जरूरत नहीं. उसके बाद सीडब्लूसी के सामने प्रस्तुत कर सकता है.