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रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि आदिवासी का अर्थ ही है आदि समय से वास करना. हमें आदिवासी समाज की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को ना सिर्फ अक्षुण्ण रखना है बल्कि इसे और भी सुदृढ़ करना है. मुख्यमंत्री ने रविवार को घाटशिला में माझी परगाना माहाल, धाड़ दिशोम के दो दिवसीय महासम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कही. उन्होंने कहा कि आदिवासियों का संघर्ष ही उनकी पहचान है. मुख्यमंत्री ने इस मौके पर माझी पारगाना माहाल, धाड़ दिशोम के एप्प को लांच किया. इस तरह संताल आदिवासी समाज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ गया. अब इस समाज की व्यवस्था और गतिविधियों की जानकारी एप्प के माध्यम से ली जा सकती है. उन्होंने शहीद गणेश हांसदा की मां कापरा हांसदा को नियुकि पत्र प्रदान किया. मुख्यमंत्री ने शहीद की माता, पिता सुबदा हांसदा और भाई दिनेश हांसदा को सम्मानित किया.15-16 जून 2020 को गलवान घाटी में चीन के सैनिकों से लोहा लेते हुए गणेश हांसदा शहीद हो गए थे.
मुख्यमंत्री ने कहा देश की आजादी की लड़ाई में हम अपने आदिवासी वीर सपूतों के योगदान को कभी भुला नहीं सकते हैं. अपने इन महापुरुषों और शहीदों के सपनों का झारखंड बनाना है. इसके लिए सरकार कृत संकल्प है. आज हम सभी को इन से प्रेरणा लेकर उनके बताए मार्गो पर चलना चाहिए. आदिवासी समाज की जिंदगी में जल, जंगल और जमीन रचा बसा है. इसे बचाने के लिए वे अपना सब कुछ न्योछावर करने को हमेशा तैयार रहते हैं. इस बात से हम इनकार नहीं कर सकते हैं कि जल, जंगल और जमीन अगर नहीं रहा तो पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचेगा. जल जंगल और जमीन का हक और अधिकार आदिवासी समाज को मिले, यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में रोजगार के द्वार खुल गए हैं. सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. वहीं, स्वरोजगार के लिए युवाओं को मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 50 हज़ार रुपए से लेकर 25 लाख रुपए तक दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े, इसके लिए कई योजनाएं शुरू की गई है. अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति दी जा रही है.
महासम्मेलन में मंत्री चम्पाई सोरेन, बन्ना गुप्ता, विधायक रामदास सोरेन, मंगल कालिंदी, संजीव सरदार और समीर मोहंती, माझी पारगाना माहाल, धाड़ दिशोम के देश परगाना बैजू मुर्मू, तरफ पारगाना हरिपदो मुर्मू, दासमाथ हांसदा, पुनता मुर्मू, पदमावती हेम्ब्रम, चांदराई हांसदा, परमेश्वर मरांडी, सुशील हांसदा, बैजू टुडू, घाट पारगाना डॉ राजेंद्र प्रसाद टुडू, माझी युवराज टूडू, एल किस्कु और पंचानन सोरेन तथा अन्य मौजूद थे.