प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-नहाए खाए के साथ लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ शुरू हो गया है. व्रती गंगाजल लेने के लिए घाट पर पहुंचे. शनिवार को खरना है. इस दिन चैती छठ करने वाले व्रती गंगा नदी में स्नान कर गंगाजल ले जाकर घर पर छठ मैया का प्रसाद तैयार करती हैं. रविवार को अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया जाएगा. सोमवार को उदयीमान भगवान भष्कर को अर्घ्य देकर महापर्व का समापन होगा. खरना से होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत. पुजारी ने बताया कि पंचांग के अनुसार चैती छठ का पर्व 12 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच मनाया जाना है. जिसकी शुरुआत नहाए खाए के साथ शुरू हो गई है. नहाए खाए के दिन चावल दाल कद्दू का सब्जी का बड़ा विशेष महत्व है. शुद्धता के साथ इस प्रसाद को तैयार किया जाता है. व्रती के साथ-साथ पूरा परिवार प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं.और यहां से 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ होता है.अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य 14 अप्रैल रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को छठव्रती अर्घ्य अर्पित करेंगे. शाम करीब 5:20 से लेकर 5:50 बजे तक अर्घ्य अर्पण करने का शुभ समय होगा. इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर या ईंट के चूल्हे पर छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है. ठेकुआ तैयार किया जाता है और उसके बाद ऋतु के अनुसार फल का दउरा तैयार किया जाता है और शाम होने के साथ छठवर्ती के साथ-साथ पूरे परिवार छठ घाट पर पहुंचते हैं.
उदयीमान भगवान भास्कर को ऐसे दें अर्घ्य:दूसरे दिन सुबह 15 अप्रैल सोमवार को छठ वर्ती अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करेंगी. इसके साथ ही महापर्व का समापन हो जाएगा. सुबह करीब 5:45 से लेकर के करीब 5:55 बजे तक सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करने का शुभ मुहूर्त है.साल में दो बार छठ पर्व मनाया जाता है:सनातन धर्म में छठ का बड़ा विशेष महत्व है. साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है .पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में. भले ही कार्तिक मास की छठ का धूम देखने को मिलता है लेकिन अब हिंदू सनातन चैती छठ को भी बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं