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रांची: फसल मानकों, अधिसूचना एवं फसल किस्मों के विमोचन की केंद्रीय उप समिति ने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित 8 फसलों के 10 नये किस्मों को मंजूरी दे दी है. डॉ टीआर शर्मा, उपमहानिदेशक, फसल विज्ञान, आईसीएआर की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय उप समिति की 87वीं बैठक में कुल 38 मानद सदस्यों द्वारा इस बाबत सर्वसम्मति से स्वीकृति प्रदान की गई है.
इस दौरान बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने इसे विवि की बड़ी उपलब्धि और वैज्ञानिकों का झारखंड के किसानों को भेंट बताया है.उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक समय के बाद विवि द्वारा विकसित किस्मों को राज्य वेरायटी रिलीज कमिटी की अनुशंसा के उपरांत केंदीय उप समिति ने अधिसूचना जारी कर दी है. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख के मार्गदर्शन में कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीक पी की अध्यक्षता में राज्य वेरायटी रिलीज कमिटी ने 10 अगस्त, 2021 को 9 फसलों के कुल 12 किस्मों को अनुशंसा प्रदान की थी. इसमें अनुशंसित बैगन की दो किस्मों बिरसा चियांकी बैगन-1 एवं बिरसा चियांकी बैगन-2 का केंद्रीय एजेंसी द्वारा अलग बैठक में मंजूरी मिलने की संभावना है.
कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कृषि मंत्री बादल पत्रलेख एवं कृषि सचिव अबूबकर सिद्दीक पी के प्रति आभार जताया है, उन्होंने कहा कि कई विभिन्न फसल किस्मों के विकास को बढ़ावा देने में दोनों का काफी सहयोग मिला है. वर्तमान में प्रयोग में लाए जा रहे किस्मों की तुलना में इन नये उन्नत किस्मों की उत्पादन क्षमता 15 से 20 प्रतिशत अधिक है. इन नए प्रभेदों के प्रयोग से झारखंड राज्य में कृषि उत्पादन और उत्पादकता में काफी वृद्धि होगी और फसलों का आच्छादन भी बढ़ेगा. इन किस्मों की परिपक्वता अवधि कम रहने के कारण फसल गहनता भी बढ़ेगी और धान की कटाई के बाद खाली पड़े परती खेतों का उपयोग भी हो सकेगा. उन्होंने अनुसंधान निदेशक डॉ ए वदूद और फसल किस्मों के विकास से जुड़े सभी वैज्ञानिकों और सहयोगी कर्मियों को बधाई दी है.
केंद्रीय एजेंसी से अधिसूचना जारी किए जाने से विवि के वैज्ञानिकों में काफी उत्साह है. आनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के अध्यक्ष डॉ सोहन राम ने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों के प्रयोग परीक्षण एवं शोध के बाद विकसित 10 उन्नत फसल प्रभेद अधिक उपज देनेवाले, शीघ्र परिपक्व होनेवाले, कम पानी की जरूरत वाले और विभिन्न कीड़ों-रोगों के प्रति सहिष्णु है. इनमें उड़द, अरहर, सोयाबीन, सरसों, बेबी कॉर्न (मक्का), मड़ुआ की एक-एक और तीसी की 3 किस्में शामिल हैं.
अब बीएयू के पौधा प्रजनकों, निदेशालय बीज एवं प्रक्षेत्र, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्रों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं झारखंड के बीच ग्रामों द्वारा इन फसल प्रभेदों के प्रजनक बीज, आधार बीज और सत्यापित बीज उत्पादन में तेजी लाई जाएगी, ताकि प्रदेश के किसानों के बीच इनकी उपलब्धता शीघ्र हो सके.
जारी किए गए नए प्रभेदों की मुख्य विशेषताएं
बिरसा गेहूं – 4 (जेकेडब्लू): इस प्रभेद की उत्पादन क्षमता 51.72 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. फसल लगभग 110-130 दिनों में परिपक्व होती है. यह सूखा एवं ताप सहिष्णु और रोग प्रति किस्म है. इसके दाने में 11 % प्रोटीन और उच्च आयरन एवं जिंक की मात्रा विद्यमान होती है. यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के तराई क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है.
बिरसा उड़द-2: इस प्रभेद की उत्पादन क्षमता 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. फसल लगभग 82 दिनों में परिपक्व होती है. एक फली में 6-7 बड़े भूरे दाने होते हैं. सर्कोस्पोरा, लीफ स्पॉट और जड़ विगलन रोग के प्रति प्रतिरोधी है और एफिड का न्यूनतम प्रकोप होता है.
बिरसा अरहर-2: इस दलहनी प्रभेद में प्रोटीन की मात्रा 22.48 प्रतिशत है. इसका अंडाकार दाना भूरे रंग का होता है. इसकी उत्पादन क्षमता 27.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और परिपक्वता अवधि 235-240 दिन है. विल्ट और बोरर के प्रति प्रतिरोधक है.
बिरसा सोयाबीन-3: इस किस्म का बीज हल्का पीला रंग का अंडाकार होता है. जिसमें तेल की मात्रा 19% और प्रोटीन 38.8 प्रतिशत होती है. उत्पादन क्षमता 27.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि 115-120 दिन है. विभिन्न रोगों के और कीड़ों के प्रति सहिष्णु है और भुआ पिल्लू का प्रकोप नहीं होता है.
बिरसा भाभा मस्टर्ड-1: बीएयू एवं भाभा आणविक अनुसंधान केंद्र के संयुक्त सहयोग से विकसित सरसों के इस प्रभेद का दाना बड़े आकार का होता है. तेल की मात्रा लगभग 40% है. अल्टरनरिया ब्लाइट, व्हाइट रस्ट और एफिड के प्रति सहिष्णु है. 112-120 दिनों में परिपक्व होने वाली इस किस्म की उत्पादन क्षमता 14.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
तीसी: तिलहनी फसल तीसी की 3 किस्में विकसित की गई हैं. बिरसा तीसी-1 में तेल की मात्रा 34.6% है. इसकी औसत उपज 11.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्राप्त हुई, किंतु उपज क्षमता 17.12 क्विंटल तक है. फसल 128-130 दिनों में तैयार होती है. यह किस्म अल्टरनरिया ब्लाइट और रस्ट के प्रति उच्च प्रतिरोधी तथा विल्ट और बडफ्लाई के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है. जारी किए गए तीसी के दूसरे प्रभेद दिव्या में तेल की मात्रा लगभग 40% और हृदय के लिए लाभकारी ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा 60% है. औसत उपज 15.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम पर क्षमता 21.15 क्विंटल है. फसल 127 से 130 दिनों में परिपक्व होती है. विभिन्न रोगों और कीड़ों के प्रति प्रतिरोधी है. तीसी की तीसरी किस्म प्रियम में तेल की मात्रा 37% और ओमेगा 3 की मात्रा 53 प्रतिशत है. औसत उपज 12.5 क्विंटल और उपज क्षमता 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. परिपक्वता अवधि 128-130 दिन है. इसमें अधिकांश रोगों और कीड़ों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है.
बिरसा बेबी कार्न-1: इस किस्म की औसत उपज क्षमता 16.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. परिपक्वता अवधि 50-65 दिन है. फसल की कटाई 48 वें दिन से शुरू हो जाती है और 65वें दिन तक जारी रहती है, तीन बार तुड़ाई होती है. कई रोगों के प्रति सहिष्णु है और अच्छी जल निकास वाली ऊपरी भूमि में खेती के लिए उपयुक्त है.
बिरसा मड़ुआ-3: यह किस्म नमी की कमी के प्रति सहिष्णु है. नेक और फिंगर ब्लास्ट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है. औसत उपज क्षमता 28.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और परिपक्वता अवधि लगभग 110-112 दिन है.