न्यूज11 भारत
रांची: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में टेंडर मैनेज का खेल जारी है. सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी पेयजल विभाग के इंजीनियर अपने फायदे के लिए सरकारी कोष को नुकसान पहुंचा रहे है. टेंडर मैनेज कर लाखों वारे न्यारे कर रहे हैं. पेयजल मंत्री मिथलेश ठाकुर तक शिकायत पहुंची, तो मंत्री ने मामले की जांच कराने की बात कही. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में इन दिनों हर घर नल-जल योजना के लिए ताबड़तोड़ निविदा निकाली जा रही है. विभाग के सभी 32 प्रमंडलों में निविदा निकालने और उसे अंतिम रूप दिये जाने का काम चल रहा है. रांची, दुमका, गढवा, हजारीबाग सहित कई जिलों में हर घर नल जल योजना से संबंधित टेंडर को अंतिम रूप दिया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा इस योजना के लिए राज्य सरकार को छह हजार करोड़ मिलेंगे. इस योजना से आम लोगों के घरों तक पानी पहुंचेगा या नहीं, यह दूर की बात है, मगर इस योजना के टेंडर में जिम्मेवार इंजीनियर कमिशन के रूप में मोटी रकम अपने घर ले जाएंगे.
टेंडर में एक ही व्यक्ति की कंपनी एल वन और एल टू घोषित
राजधानी रांची के डोरंडा स्थित रांची पश्चिम प्रमंडल में टेंडर मैनेज का खेल सामने आया है. मंत्री ने जांच के आदेश विभागीय अफसरों को दिया है. न्यूज11 भारत को मिली जानकारी और साक्ष्य के अनुसार प्रमंडल की ओर से 30 पैकेज में 20 करोड़ से अधिक की निविदा निकाली गयी. इस निविदा में सब कुछ पहले से ही मैनेज था. एक ग्रुप का उदाहरण लें, तो प्रमंडल के इंजीनियरों ने अपने चहेते कंपनी रांची के आरपी भोजनवाला को 77 लाख से अधिक का काम दे दिया. मजेदार बात है कि इस ग्रुप का काम लेने के लिए आरपी भोजनवाला ने अपने ही दूसरे फर्म सूरजमल ओंकारमल के नाम से सेकेंड पार्टी के रूप में डमी फर्म भरा था. यानी, काम हड़पने के लिए फर्म ने उस ग्रुप के टेंडर में किसी दूसरी कंपनी को शामिल ही नहीं होने दिया. इंजीनियरों की मिलीभगत से एक ही व्यक्ति एक टेंडर में शामिल हुए. और उसे कागजी खानापूर्ति कर इंजीनियरों ने कार्य आवंटित भी कर दिया. यानी एक टेंडर में एक ही व्यक्ति की कंपनी एल वन और एल टू रही.
फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर से अन्य कंपनियों को किया गया बाहर
पेयजल एवं स्वच्छता रांची पश्चिम प्रमंडल द्वारा किए गए टेंडर के जिस ग्रुप में आरपी भोजनवाला को कार्य आवंटित हुआ. इस ग्रुप में बिहार की रामसखी इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड और अनबू ड्रिलर्स ने भी निविदा डाली थी. आरपी भोजनवाला को -1.05 प्रतिशत कम दर पर निविदा आवंटित कर दी गयी. यह कहा गया कि सूरजमल ओंकारमल ने 5.50 फीसदी अधिक दर भरा था. जबकि रामसखी इंटरप्राइजेज और अनबू ड्रिलर्स के आवेदन को यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि एज पर एनआइटी एंड एनेक्सर-1 दोनों कंपनियां क्वालिफाई नहीं करती हैं. यह 30 ग्रुप में सबसे बड़ी राशि की निविदा थी. इंजीनियरों ने तकनीकी खामी बताते हुए अपने चहेती कंपनी को कार्य आवंटित कर दिया.
जांच होने पर सामने आएगा टेंडर मैनेज का बड़ा खेल
हर घर जल योजना के लिए रांची पश्चिम प्रमंडल की तरफ से रानडो ग्रुप, पतरातू ग्रुप, साहेदा ग्रुप, शकरपुर ग्रुप, ताबेर कलन ग्रुप, माइमांडु, देवगांव, पोला, होचर, उषामातु, गढ़ाटोली, करंबा, बेगीं, जामुरी, हर्रा, आरा, दुरू, नावाडीह, चंपा, मदनपुर, केशकानी टोला के लिए निविदा आमंत्रित की गयी थी. इसमें प्रमंडल के इंजीनियरों ने अपने मनचाहे संवेदकों को मानचाहा कार्य आवंटित कर दिया. इसके एवज में प्रमंडल के इंजीनियरों को संवेदकों ने उपकृत किया. कमिशन के रूप में मोटी रकम दी. मिली जानकारी के अनुसार टेंडर निकलने से पहले ही सारे काम मैनेज हो गए थे. टेंडर में उन्हीं कंपनियों को कनीकी और वित्तीय आवेदन बॉक्स में जमा करने को कहा गया था, जिनकी पहले से प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता शशि शेखर से बातचीत हो गयी थी. इस निविदा का कंपेरेटिव स्टेटमेंट भी तैयार नहीं किया गया था. पर जैसे-जैसे बात बनी, सभी चहेते संवेदकों के कंपनियों को कार्यादेश दे दिया गया. सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि निविदा में अस्वीकृत आवेदनों के संबंध में अधीक्षण अभियंता के स्तर से आदेश जारी कराया गया.