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अनोखी चोरी: पतरातू डैम से नाव की चोरी, सदमे में नाविक

नाविक और गोताखोर डैम के गहरे पानी में ढूंढ रहे है नाव
अनोखी चोरी: पतरातू डैम से नाव की चोरी, सदमे में नाविक
न्यूज11 भारत

रांची: साइकिल चोरी, बाइक चोरी, कार चोरी और ट्रक की चोरी आपने सूना होगा, लेकिन किसी डैम में तैरते नाव की चोरी नहीं सूना होगा. नाव चोरी की अनोखी घटना पतरातू डैम में हुई है. 19 अक्टूबर की रात पतरातू डैम से एक नाव को चोर चुरा कर ले गए. यह नाव शंकर नामक व्यक्ति का था. बताया जा रहा कि नाव चोरी रात के अंधेरे में की गई है, जब डैम में 200 नाव खड़ी थी. नाव चोरी को लेकर पुलिस कंप्लेन नहीं किया गया है. डैम के गहरे पानी में नाव नहीं मिलेगा, तो नाविक चोरी की शिकायत दर्ज कराएंगे.

पतरातू डैम में नाव चोरी की पहली घटना है. डैम में नाव चलानेवाले लबदाबस्ती के सत्यदेव साव ने बताया कि आज से पहले कभी नाव की चोरी नहीं हुई थी. डैम से नाव चोरी की इस घटना ने सबको सदमें में डाल दिया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि चोर नाव को रात के अंधरे में खोल कर कुछ दुर ले गए होंगे. उसके बाद किनारे पहुंचने के बाद कुछ लोगों के सहयोग से पानी के बाहर निकाल लिया होगा. यह सामान्य चोरी नहीं है. 

रात में एक रस्से से बांध कर रखते हैं सभी नाव

सत्यदेव ने बताया कि चोर अगर नाव पानी से बाहर निकलने में सफल नहीं हुए होंगे, तो उसे पानी में डूबा दिया होगा. आपसी रंजीस की वजह से नाव की चोरी कराई गई है, ऐसी बातें भी सामने आ रही है. वैसे रात में सभी नाव को बांध कर किनारे पर रखा जाता है. सभी नाव एक रस्से से बंधे होते हैं. जिस नाव की चोरी हुई है, वह भी रस्से से बंधा हुआ था. सुबह देखा गया, तो नाव को जिस्स रस्से से बांधा गया था, वह भी टूटा हुआ मिला. 

 


 

डैम में गोताखोर नाव ढुंढने का काम करेंगे

पतरातू डैम मत्स्य जीवी सहयोग समिति लिमिटेड के संजय कुमार डांगी ने बताया कि पानी पर तैरते नाव को चुराना आसान नहीं है. एक नाव को जमीन से पानी तक लाने के लिए कम से कम 15 से 20 लोगों की जरूरत पड़ती है. ऐसे में पानी के अंदर से नाव बाहर निकलने के लिए भी उतने आदमी की जरूरत पड़ेगी. पतरातू डैम से नाव चुराने की यह पहली घटना है. वैसे नाव डैम के बाहर नहीं निकला होगा, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है. 

 

संजय कुमार डांगी नाव या तो हवा की वजह से डैम के बीच में पहुंच गया होगा, और पलट गया होगा. यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि चोर नाव बाहर नहीं निकाल पाए होंगे, तो उस नाव को डैम में डुबा दिए होंगे. नाव को खोजने के लिए पतरातू डैम के आसपास के नाविक और गोताखोर अपना सहायोग देंगे. डैम में नाव खोजने का विशेष अभियान चलाने की योजना बनी है. 

 

पर्यटकों के लिए हैं 200 नाव, एक की कीमत 40 हजार

पर्यटकों को नौका बिहार का आनंद दिलाने के लिए पतरातू डैम में 200 नाव चलाते है. पर्यटकों की बढती संख्या को देखते हुए दिसंबर तक 25 नए नाव आने की उम्मीद है. एक नाव बनाने में 40 हजार रुपए की लागत आती है. नाव चलाने वाले संतोष कुमार ने बताया कि एक नाव से एक साल में 25 से 30 हजार की आमदनी होती है. दो वर्ष नाव चलाने पर लागत से ज्यादा पैसा आता है. पर्यटकों की संख्या लगातार बढ रही है, इसे देखते हुए कई लोगों ने नए नाव का ऑडर दिया है. डैम प्रदूषित नहीं हो, इस वजह से डैम में बोट चलाने की अनुमति नहीं है. एक दो सरकारी और कुछ प्राइवेट बोट है, जो कम ही चलते हैं. 

 

पार्क, बोट, शॉपिंग प्लाजा समेत मनोरंजन के सारे इंतजाम

पतरातू डैम के किनारे चिल्ड्रेन पार्क, पिकनिक स्पॉट, रेस्टोरेंट, शॉपिंग इंट्रेंस प्लाजा, झील में घूमने के लिए स्पीड बोट, दूर तक सुंदर नजारा लेने के लिए तीन मचान, पानी के बीच जाने के लिए बोटिंग जेटी, टापू पर कैफेटेरिया और छठ घाट डेवलप हो रहे हैं. पतरातू डैम झारखंड का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है.
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