पर्यावरण क्लीयरेंस के नाम पर खान सचिव पूजा सिंघल और खान निदेशक अमित कुमार ने किया बड़ा खेल
गढ़वा में खोखा सैंड माइनिंग की गलत तरीके से की गयी गंगा कावेरी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को बंदोबस्ती
बंदोबस्ती के नाम पर 15 करोड़ का हुआ वारा न्यारा
उठने लगी है सिंडिकिट की कार्रवाही के विरुद्ध में आवाज, कई डीएमओ ईडी के समक्ष गवाही को तैयार
न्यूज11 भारत
रांची: झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड को बालू घाटों के संचालन का जिम्मा 2017 से मिला हुआ है. राज्य के 55 से अधिक बालू घाटों की औपचारिक बंदोबस्ती नहीं हुई है. पर बालू का अवैध खनन और उठाव राज्य भर से निरंतर जारी है. अब आपको बताते हैं कि इस खेल के पीछे कैसे खान एवं भूतत्व सचिव रही पूजा सिंघल, खान निदेशक अमित कुमार और अन्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है. पर्यावरण क्लीयरेंस यानी इनवायरनमेंटल क्लीयरेंस के नाम पर यह सारा गड़बड़झाला हो रहा है. बालू घाटों की बंदोबस्ती और माइनिंग को लेकर संबंधित संवेदक कंपनी को 180 दिनों में पर्यावरण क्लीयरेंस की स्वीकृति लेने का नियम है. पर इन नियमों को ताक पर रख कर खान सचिव, खान निदेशक, संबंधित जिलों के उपायुक्त, संबंधित जिलों के जिला खनन पदाधिकारी पैसे लेकर धड़ल्ले से बालू घाटों की बंदोबस्ती कर चुके हैं. इस खेल को लेकर रांची डीएमओ सत्यजीत कुमार जो जेएसएमडीसी में भी पदस्थापित थे, ने इस्तीफा दे दिया था.
न्यूज 11 भारत के पास सूत्रों से जानकारी मिली है कि अवैध बालू खनन को लेकर कई जिलों के जिला खनन पदाधिकारी प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआइ अथवा अन्य जांच एजेंसियों के पास अपना बयान दर्ज करा सकते हैं. वह भी अपने ही विभाग की प्रमुख रही आइएएस पूजा सिंघल और खान निदेशक के खिलाफ. बालू के इस खेल में जहां खान निदेशक ने राजमहल ट्रेडर्स को जामताड़ा में आवंटित मौजा मजालो के दो बालू घाटों का बंदोबस्ती इसलिए रद्द कर दिया, क्योंकि उन्हें समय पर फारेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिला. इतना ही नहीं जामताड़ा के अझय नदी स्थित राम कुमार सिंह के बालू घाट की बंदोबस्ती भी रद्द कर दी गयी. इसके विपरीत गढ़वा में मेसर्स गंगा कावेरी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को साढ़े छह वर्ष बाद मिले पर्यावरण क्लीयरेंस को मान्य करते हुए खोखा सैंड माइनिंग प्रोजेक्ट से बालू उठाव की अनुमति दे दी गयी. सूत्रों का कहना है कि पेपर वेट इतना अधिक भारी था कि इसको लेकर वन और पर्यावरण विभाग के प्रावधान भी क्षांत हो गये. इसको लेकर 15 करोड़ रुपये के लेन देन होने की बातें कही जा रही हैं, जो आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल से लेकर गढ़वा डीसी रमेश घोलप, खान निदेशक अमित कुमार और जिला खनन पदाधिकारी तक पहुंचे हैं. ऐसे कई और मामले राज्य भर में हैं, जिसको लेकर खान एवं भूतत्व विभाग के डीएमओ स्तर के अधिकारियों पर मुंह खोलने तक तैयार हैं. सूत्र बताते हैं कि राज्य भर में बालू घाटों की लूट की भी ईडी और सीबीआइ जांच होनी चाहिए क्योंकि इसमें भी मनी लाउंड्रिंग और प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट का मामला जुड़ा है.
गढ़वा में मेसर्स गंगा कावेरी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को गढ़वा के खोखा अंचल में 23 हेक्टेयर भूमि पर बालू खनन करने के लिए मंजूरी दी गयी. राज्य स्तरीय पर्यावरण इंपैक्ट एसेसमेंट अथोरिटी ने इस एजेंसी के आवेदन पर जन सुनवाई करने के बाद साढ़े छह वर्ष बाद इस कंपनी को 16 अप्रैल 2022 को बालू उत्खनन करने की मंजूरी दे दी. एजेंसी के सदस्य सचिव के हस्ताक्षर से यह पर्यावरण क्लीयरेंस किया गया. इसके बाद खान निदेशक ने बालू घाट की बंदोबस्ती को लेकर जिले के उपायुक्त रमेश घोलप और जिला खनन पदाधिकारी को एग्रीमेंट करने की औपचारिकताएं पूरा करने का आदेश दिया. यहां आपको एक बात बताना जरूरी है कि कैसे खान निदेशक अमित कुमार ने सात मार्च 2022 को पत्रांक संख्या 488 के माध्यम से सभी जिला खनन पदाधिकारियों को एक पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि सभी जिलों के डीएमओ वैसे कंपनियों के आवेदन को फिर से खोजें, जिसमें पर्यावरण स्वीकृति के लिए तय 180 दिन की अवधि से एक दिन भी अधिक विलंब होने पर सभी संबंधित कंपनियों को शो-काउज करते हुए उनकी बंदोबस्ती रद्द कर दी जाये. पर मेसर्स गंगा कावेरी कंस्ट्रक्शन मामले की पटकथा कुछ अलग है. कंपनी की तरफ से 10,29,600 टन का वार्षिक उत्पादन करने के लिए आवेदन दिया गया था. उत्तरी गढ़वा जिले में अवस्थित बालू घाट के लिए 18 मार्च 2017 को पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए पत्र भेजा गया था.