आर्यन श्रीवास्तव/न्यूज़11 भारत
कोडरमा/डेस्क: हिंदी कैलेंडर का पहला महीना चैत्र 26 मार्च से शुरू होकर 23 अप्रैल तक रहेगा जबकि हिन्दू नववर्ष 9 अप्रैल से शुरू होगा. इस महीने में हिंदू नववर्ष के अलावे नवरात्रि, रामनवमी और हनुमान जयंती जैसे बड़े पर्व मनाए जाते हैं. साथ ही बीमारी से बचने के लिए शीतला देवी की पूजा और व्रत भी की जाती है.
इस महीने की पूर्णिमा तिथि पर चित्रा नक्षत्र का पड़ता है, इसलिए इस महीने का नाम चैत्र पड़ा था. इस महीने का स्वामी राहू होता है. इस महीने में रोहिणी और अश्विनी नक्षत्र शून्य होते हैं. यानी जिस दिन ये नक्षत्र हो उनमें कोई खास काम शुरू नहीं करना चाहिए, वरना धन हानि होने की आशंका रहती है. इस महीने की अष्टमी और नवमी तिथि भी शून्य मानी जाती है. इन तिथियों पर भी बड़ा काम शुरू करने से बचना चाहिए. 2080 साल पहले उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि पर विक्रम संवत शुरू किया था. तभी से इस दिन हिंदू नववर्ष मनाने की परंपरा चली आ रही है. इस तिथि पर वार और ग्रहों के मुताबिक ज्योतिषियों द्वारा पूरे साल की भविष्यवाणी की जाती है. लगभग हर साल चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि पर सूर्य और चंद्रमा दोनों पहली राशि मेष में होते हैं. ऐसे संयोग सिर्फ इसी महीने में बनता है.
पुराणों के मुताबिक इस महीने में भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप को पूजने का विधान है. इस महीने तपन नाम के सूर्य की पूजा की जाती है. सूर्य का ये रूप पाप नाशक और बीमारियों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है. ग्रंथों के मुताबिक चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि पर ही सतयुग की शुरुआत हुई थी, इसलिए इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है. यानी इस दिन किए गए दान से अक्षय पुण्य मिलता है. भविष्य पुराण का कहना है कि इस महीने के शुक्ल पक्ष में सरस्वती पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान बढ़ता है. महाभारत के मुताबिक पूरे चैत्र महीने में एक वक्त खाना खाने से लंबी उम्र के साथ ही धन लाभ भी होता है. ग्रंथों के मुताबिक इस महीने बिना नमक के व्रत करने से बीमारियां दूर होती है.
धर्म के नजरिये से: अक्षय पुण्यदायी और सृष्टि की शुरुआत का महीना
पण्डित कुंतलेश पांडेय ने बताया कि पुराण के अनुसार चैत्र मास में बाह्मण भोजन, दक्षिणा और पान का दान करने का बहुत महत्व है. चैत्र मास में कपड़े, बिस्तर और आसन का दान करने से महा पुण्य मिलता है. ब्रह्म और नारद पुराण के मुताबिक चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी. मत्स्य पुराण के मुताबिक चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. यानी मछली का रूप लेकर धरती को बचाया था. मार्कंडेय पुराण के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की शुरुआत वसंत नवरात्रि से होती है. इन नौ दिनों में देवी पूजा करने से रोग, शोक और दोष दूर हो जाते हैं. अगस्त्य संहिता का कहना है कि चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष के नौवें दिन श्रीराम का जन्म हुआ था और हनुमान जी का जन्म इस महीने की पूर्णिमा को हुआ था.