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Demonetization (विमुद्रीकरण) के 5 साल के बाद एक 65 साल के नेत्रहीन व्यक्ति ने जिला कलेक्टर कार्यालय में याचिका दायर कर अपने पुराने नोटों को बदलने की अपील की है. बूढ़े व्यक्ति के पास 500 और 1000 के पुराने नोट हैं, जो कुल 65,000 हैं. इस नेत्रहीन बुजुर्ग शख्स का कहना है कि ये रुपए उनके जीवन भर की बचत है और उन्होंने भीख मांग कर ये पैसे इकट्ठे किए हैं. लेकिन उसे विमुद्रीकरण की कोई खबर नहीं थी.
मामला तमिलनाडू के कृष्णागिरी जिले की है. शख्स का नाम चिन्नाकन्नू है, जो कृष्णागिरी जिले के चिन्नागौंदनूर गांव का रहने वाला है. वह 5 साल की उम्र से ही नेत्रहीन हो गया था. वह अपने गांव में एक झोपड़ी में अकेले रहता था और भीख मांग कर अपना गुजारा करता था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुजुर्ग शख्स 4 साल पहले बीमार हो गया था. जिसके बाद वह भूल गया था उसकी जीवन भर की बचत उसने कहां रखी है. शख्स का कहना है कि कुछ दिन पहले ही उसे वो पैसे मिले थे और उन्हें पता चला कि विमुद्रीकरण के कारण अब उनके जीवन भर की बचत का कोई महत्व नहीं है.
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जिला कलेक्टर के पास दायर याचिका में उन्होंने लिखा कि वे कई सालों से भीख मांग रहे हैं और इन पैसों की बचत की ताकि वे अपने बुढ़ापे में इसका इस्तेमाल कर सकें. लेकिन अपनी बिमारी के कारण वह भूल गया था कि उसने पिछले कुछ वर्षों से बचत राशि कहां रखी थी. इसके साथ ही वह विमुद्रीकरण से अनजान था इसलिए नोट नहीं बदल सकता था. बुजुर्ग ने अधिकारियों से विमुद्रीकृत नोटों को नए मुद्रा में बदलने में मदद करने का अनुरोध किया है.