रांची: विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर, यानी शुक्रवार को है. दुनिया ने विश्वकर्मा को पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना है. पंडित संजय पाठक के अनुसार विश्वकर्मा पूजा के दिन निर्माण से संबंधित औजारों की विशेष पूजा होती है. फैक्ट्री के मालिक, जिनका कारखाना है, वर्क शॉप है, वे लोग पूजा का आयोजन बेहतर ढंग से करते हैं. संजय पाठक ने बताया कि विश्वकर्मा पूजा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस योग में इस पर्व को मनाया जाना अपने आप में बेहद खास है.
राहुल काल में न करें पूजा
संजय पाठक बताते है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12 बजे तक राहुकाल रहेगा. इस दौरान पूजा न करें. बाकी समय पूजा का योग रहेगा. 17 सितंबर को सुबह 6:07 बजे से 18 सितंबर शनिवार को दोपहर 3:36 बजे तक पूजा की जा सकती है.
खुद से कर सकते है पूजा
17 सितंबर को पूजा के लिए पंडित जी की डिमांड ज्यादा रहती है. ऐसे में परेशान होने की बात नहीं है. पंडित जी के अनुसार आप खुद से भी पूजा अर्चना कर सकते है. पूजा के लिए अपने कार्यस्थल की सफाई कर वहां पूजा का स्थान बनाएं. फूलों से सजा कर उस जगह भगवान विश्वकर्मा की मूर्ती या चित्र स्थापित करें. इसके बाद उनकी पूजा करें और भोग लगाए. भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद सभी औजारों को तिलक लगाकर मौली बांधे व धूप करें. पूजा के बाद सभी को प्रसाद बांटें.
इन बातों का रखें ध्यान
इस दिन औजारों व मशीनों की पूजा कर उनका इस्तेमाल ना करें. कितना भी जरूरी काम हो उसे अगले दिन के लिए टालें. मशीनों की पूजा के बाद उसी दिन उनसे काम लेना सही नहीं है, माना जाता है.
अस्त्र-शस्त्र का किया था निर्माण
शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देव कहा गया है. भगवान विश्वकर्मा ही हैं जिन्होंने देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था. कहा जाता है कि जिस वक्त भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना कर रहे थे उस समय विश्वकर्मा ने भी उनकी सहायता की थी.