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विधानसभा वार JMM तैयार, मोदी का करिश्मा उलट सकता है बाज़ी

विधानसभा वार JMM तैयार, मोदी का करिश्मा उलट सकता है बाज़ी

मुजतबा हैदर रिजवी/ न्यूज11भारत


जमशेदपुर/डेस्क: जमशेदपुर लोकसभा सीट पर भाजपा की तरफ से दो बार सांसद रह चुके विद्युत वरण महतो इस बार भी चुनाव लड़ने जा रहे हैं. जबकि, विपक्षी इंडिया गठबंधन की तरफ से अभी तक कोई उम्मीदवार सामने नहीं आया है. लोकसभा की सियासी शतरंज की बिसात पर भले ही अभी सारे मोहरे नहीं सज पाए हैं. लेकिन, राजनीतिक हालात काफी कुछ बयान कर रहे हैं. विधानसभावार अगर सियासी स्थिति को देखा जाए तो इस बार लोकसभा चुनाव में झामुमो और भाजपा एक दूसरे से दो दो हाथ करने के लिए तैयार हैं. चार विधानसभा सीट पर इंडिया गठबंधन की स्थिति मजबूत है. मोदी का करिश्मा ही इस बाजी को पलट सकता है. जबकि, दो विधानसभा सीट पर भाजपा गठबंधन तगड़ा माना जा रहा है. 

 

चार पर इंडिया गठबंधन तो दो पर भाजपा का प्रभाव 

जमशेदपुर संसदीय सीट पर छह विधानसभा हैं. यहां के मतदाता सांसद का चुनाव करेंगे. इनमें से चार विधानसभा सीटों जुगसलाई, पोटका, बहरागोड़ा और घाटशिला में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं. ये पिछले विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहरा चुके हैं. एक विधानसभा सीट जमशेदपुर पश्चिम पर कांग्रेस का कब्जा है. लेकिन जुगसलाई और जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में भले ही भाजपा अपने उम्मीदवार नहीं जिता पाई थी. लेकिन यहां भाजपा समर्थित मतों की संख्या अधिक है. जमशेदपुर पूर्वी में भाजपा का दबदबा है. हालांकि यहां से भारतीय जनतंत्र मोर्चा के सरयू राय विधायक हैं. लेकिन उन्हें जो वोट मिले हैं, राजनीतिक विशेषज्ञों की राय में वह भी भाजपा समर्थित वोट ही हैं. इस लिहाज़ से देखा जाए तो जमशेदपुर संसदीय सीट पर चार विधानसभा क्षेत्र में इंडिया गठबंधन का दबदबा है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस दबदबे को अगर कोई तोड़ सकता है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा है. मर्यादा पुरुषोत्तम राम के मंदिर निर्माण का लाभ सीधे भाजपा को मिल सकता है. भाजपाई इसी को लेकर प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं. प्रचार प्रसार में उम्मीदवार की शख्सियत का जिक्र कम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किए गए कामों का ही बखान हो रहा है.




जमशेदपुर पश्चिम में 22 हजार 583 मतों से जीते थे कांग्रेस उम्मीदवार

जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में अगर राजनीतिक हालात का जायजा लिया जाए तो साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता 22 हजार 583 मतों से विजयी हुए थे. उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी देवेंद्र सिंह को हराया था. बन्ना गुप्ता को 96 हजार 778 मत मिले थे और देवेंद्र सिंह को 74 हजार 195 मत.  इस विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की खासी संख्या है. इसका लाभ हमेशा कांग्रेस को उठाती रही है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता इस विधानसभा चुनाव में हिंदू मत भी हासिल करने में सफल रहे थे. यही वजह है कि वह देवेंद्र सिंह को पटखनी दे पाए. इस सीट पर अगर इंडिया गठबंधन का बूथ मैनेजमेंट बढ़िया रहा और वह मुस्लिम वोट निकल पाया तो इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को यहां से बढ़त मिल सकती है. लेकिन, अगर झामुमो का उम्मीदवार रहा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ज्यादा जोश नहीं दिखा तो इस विधानसभा सीट पर भाजपा और इंडिया गठबंधन पर बराबर का मुकाबला रह सकता है.

 

जमशेदपुर पूर्वी में रहेगा बीजेपी का दबदबा

जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर भाजपा के उम्मीदवार लगातार जीतते रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कई बार यहां से जीत का परचम लहराया है. लेकिन, साल 2019 का चुनाव सबसे अलग था. भाजपा के मंत्री रह चुके सरयू राय को जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने रघुवर दास को सबक सिखाने के लिए इस सीट से निर्दलीय नामांकन कर दिया था. सरयू राय को टिकट नहीं मिलने से भाजपाई भी नाराज थे. यही वजह थी कि इस सीट पर रघुवर दास के खिलाफ आम जनता में एक नाराजगी देखने को मिली और सरयू राय 15 हजार 833 मतों से तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने में कामयाब रहे थे.  विधायक सरयू राय को 73 हजार 945 वोट मिले थे. जबकि, रघुवर दास को 58 हजार 112 वोट से संतोष करना पड़ा था.  इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर गौरव वल्लभ उतारे गए थे. गौरव वल्लभ को महज 18 हजार 976 मतों से संतोष करना पड़ा था. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि विधायक सरयू राय को जिन लोगों ने वोट दिया उनमें भाजपाइयों की भी खासी तादाद रही. इसलिए, माना जा रहा है कि अगर विधायक सरयू राय ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला भी तो भी इस सीट पर लोकसभा चुनाव में वह कोई खास नहीं कर सकेंगे. क्योंकि अधिकतर भाजपाई मतदाता लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देखकर वोट देंगे. इसलिए, लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा की बढ़त रहेगी.

 

पोटका में इंडिया गठबंधन की है मजबूत स्थिति

पोटका विधानसभा क्षेत्र में इंडिया गठबंधन की स्थिति मजबूत है. यहां से झामुमो के विधायक संजीव सरदार हैं. साल 2019 के  विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो विधायक संजीव सरदार ने यहां से बाजी मारी थी. उन्होंने भाजपा की उम्मीदवार मेनका सरदार को 43 हजार 110 वोटों से हराया था. संजीव सरदार को 1 लाख 10 हजार 753 वोट मिले थे. जबकि, मेनका सरदार 67 हजार 643 वोटों पर सिमट गई थीं. हालांकि, इस विधानसभा सीट से भी भाजपा की मेनका सरदार पहले तीन बार साल 2000, 2009 और 2014 में जीत चुकी थीं. लेकिन, पिछले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग उनसे नाराज रहा. इस विधानसभा सीट पर आदिवासी उम्मीदवारों की खासी तादाद है. जिसका फायदा झामुमो को मिला था. हालांकि, बागबेड़ा समेत अन्य शहरी इलाकों में भाजपा के मत भी कम नहीं हैं. फिर भी जमीनी राजनीति में यहां इंडिया गठबंधन मजबूत स्थिति में है लग रहा है.

 

घाटशिला में जीते थे झामुमो के रामदास सोरेन 

घाटशिला विधानसभा सीट पर साल 2019 में कांटे का मुकाबला हुआ था. झामुमो के विधायक रामदास सोरेन यहां से 6 हजार 724 मतों से जीते थे. उन्होंने भाजपा के लखन मार्डी को हराया था. रामदास सोरेन को 63 हजार 531 मत मिले थे. जबकि, लखन मार्डी को 56 हजार 807 वोट मिले थे. इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस के प्रदीप कुमार बलमुचू भी चुनाव लड़े थे और उन्हें 31 हजार 910 मतों से संतोष करना पड़ा था. इस तरह घाटशिला विधानसभा सीट पर अगर झामुमो और कांग्रेस के मतों को जोड़ दिया जाए तो साल 2019 के चुनाव में इंडिया गठबंधन के पास 95 हजार 441 मत हैं.  इस तरह, इस विधानसभा सीट पर भी इंडिया गठबंधन की हालत मजबूत मानी जा रही है.

 

बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में भी झामुमो आगे

बहरागोड़ा विधानसभा सीट पर भी झामुमो की स्थिति मजबूत है. माना जा रहा है कि यहां से झामुमो की उम्मीदवार विधायक समीर कुमार मोहंती 60 हजार 565 मतों से जीते थे. उन्होंने झामुमो छोड़कर भाजपा में गए कुणाल षाड़ंगी को 60 हजार 565 मतों से हराया था.  कुणाल षाड़ंगी को 45 हजार 452 मत मिले थे. जबकि, समीर कुमार मोहंती को 16 हजार 17 वोट प्राप्त हुए थे. ‌ बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में समीर कुमार मोहंती काफी लोकप्रिय नेता माने जाते रहे हैं. माना जा रहा है कि अभी भी इलाके में उनकी छवि बरकरार है. इसके चलते इस विधानसभा सीट सीट की राजनीति पर झामुमो की पकड़ मजबूत मानी जा रही है.

 

जुगसलाई में जीती थी झामुमो, पर अब हालात अलग

साल 2019 के चुनाव की स्थिति देखी जाए तो जुगसलाई विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के मंगल कालिंदी 21 हजार 934 मतों से जीते थे.  विधायक मंगल कालिंदी को 88 हजार 581 मत मिले थे.  उन्होंने भाजपा के मुचीराम बाउरी को हराया था. भाजपा के मुची राम बाउरी को 66 हजार 647 मत मिले थे. आजसू पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन कर हमेशा चुनाव लड़ती रही है. लेकिन, साल 2019 के विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन नहीं हो सका था. इस वजह से आजसू पार्टी के पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस को यह विधानसभा सीट से गंवानी पड़ी थी. रामचंद्र सहिस जुगसलाई विधानसभा सीट से भाजपा के समर्थन से कई बार चुनाव जीत चुके थे. लेकिन, साल 2019 में उन्हें 46 हजार 789 मत मिले थे. लेकिन, इस बार लोकसभा के चुनाव में आजसू और भाजपा का गठबंधन हो गया है. अब अगर भाजपा के मुचीराम बाउरी और आजसू के रामचंद्र सहिस के मतों को जोड़ दिया जाए. तो यह कुल 1 लाख 13 हजार 426 मत तक पहुंचता है. जबकि, मंगल कालिंदी को सिर्फ 88 हजार 581 मत ही मिले थे. इस तरह जुगसलाई विधानसभा सीट पर भले ही साल 2019 के चुनाव में झामुमो ने जीत दर्ज की हो. लेकिन वर्तमान राजनीतिक हालात भाजपा गठबंधन के पक्ष में माने जा रहे हैं.

 
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